Saturday, September 13, 2025
spot_imgspot_img
HomeDeshOpration sindoor : कंधार से पहलगाम तक 25 मिनट में 25 साल...

Opration sindoor : कंधार से पहलगाम तक 25 मिनट में 25 साल का हिसाब बराबर

ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा नौ आतंकी ठिकानों पर 25 सटीक-मारक मिसाइलें दागना न केवल सामरिक दृष्टिकोण से, बल्कि सुरक्षा नीति और क्षेत्रीय स्थिरता के लिहाज़ से भी अत्यंत आवश्यक था। आइए इसे दो पहलुओं से समझते हैं:

क्यों जरूरी था इन ठिकानों पर हमला?

  1. पहलगाम आतंकी हमले का बदला:
    • इन ठिकानों का सीधा संबंध पहलगाम हमले की साजिश और उसे अंजाम देने वालों से था। यह हमला भारतीय सुरक्षाबलों पर सीधा हमला था, जिसका जवाब देना राष्ट्रीय सुरक्षा और मनोबल के लिए अनिवार्य था।
  2. भविष्य के हमलों को रोकना:
    • इन शिविरों का उपयोग भर्ती, प्रशिक्षण और हथियार स्टोरेज के लिए किया जा रहा था। समय रहते इन्हें निष्क्रिय करना आवश्यक था, ताकि भविष्य में और घातक हमलों की साजिशें न रची जा सकें।
  3. POK और पाक सीमा में बढ़ती आतंकी सक्रियता:
    • खुफिया एजेंसियों ने संकेत दिए थे कि इन स्थानों से भारत में घुसपैठ और आतंकी हमलों की रणनीति बन रही थी। यह कार्रवाई रोकथाम (preemptive strike) की नीति के तहत की गई।
  4. संदेश देना जरूरी था:
    • यह ऑपरेशन एक कड़ा संकेत है कि भारत अब केवल रक्षा की मुद्रा में नहीं रहेगा, बल्कि जहां जरूरत हो, वहीं प्रहार करेगा — और वह भी सटीक, संगठित और सीमित युद्धनीति के तहत।

इन ठिकानों का आतंकियों से क्या संबंध था?

  1. जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षण केंद्र:
    • बहावलपुर, कोटली और मुजफ्फराबाद में स्थित इन ठिकानों को जैश और लश्कर के टॉप कमांडरों का संरक्षण प्राप्त था। ये अड्डे आतंकियों के ब्रेनवॉश, ट्रेनिंग और हथियार मुहैया कराने के काम में सक्रिय थे।
  2. सीमापार से संचालित लॉन्च पैड:
    • कुछ शिविर “लॉन्च पैड” के रूप में काम कर रहे थे, जहाँ से प्रशिक्षित आतंकियों को LOC पार कर भारत में घुसपैठ कराने की योजना थी।
  3. ISI का प्रत्यक्ष समर्थन:
    • कई ठिकानों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से समर्थन प्राप्त था। ये स्थान आतंकियों के कम्युनिकेशन हब के तौर पर भी इस्तेमाल हो रहे थे।
  4. हाई-वैल्यू टारगेट्स की मौजूदगी:
    • सूत्रों के अनुसार इनमें से कुछ ठिकानों पर वरिष्ठ आतंकी कमांडर भी मौजूद थे, जिन पर पहले से इंटरनेशनल एजेंसियों की नजर थी।

इस प्रकार ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि रणनीतिक सटीकता, खुफिया समन्वय और आतंक के विरुद्ध भारत की निर्णायक नीति का जीवंत उदाहरण है।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_imgspot_imgspot_imgspot_img

Most Popular

Recent Comments