कन्या पूजन से समझें कि हर महिला सम्मान योग्य है: नवरात्रि में नारी सम्मान के आचरण नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा को समर्पित होता है, जिसमें माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हर रूप नारी सशक्तिकरण और सम्मान का प्रतीक है। इस पर्व के दौरान कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है, और यह सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि नारी शक्ति के प्रति सम्मान और श्रद्धा प्रकट करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। कहते हैं कि बिना कन्या पूजन के नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है।
कन्या पूजन के दौरान हम यह संदेश प्राप्त करते हैं कि हर नारी में देवी का वास है और उसका सम्मान करना हमारा कर्तव्य है। हालांकि, कन्या पूजन के अवसर पर हम नन्ही बच्चियों को तो सम्मान देते हैं, लेकिन महिलाओं को उसी सम्मान से अक्सर वंचित कर दिया जाता है। इस अवसर से हमें यह समझने की आवश्यकता है कि हर महिला सम्मान योग्य है, चाहे वह किसी भी उम्र या स्थिति में हो।
नारी सम्मान के लिए अपनाएं ये आचरण:
- समानता का भाव
महिलाओं को पुरुषों या परिवार के किसी अन्य सदस्य से कम नहीं समझना चाहिए। हमें उन्हें बराबरी का दर्जा देना चाहिए। महिलाओं को परिवार, कार्यस्थल और समाज में समान अधिकार मिलें, यह सुनिश्चित करना हम सभी की जिम्मेदारी है। - समान अवसर
बेटियों को भी वही अवसर मिलने चाहिए जो बेटों को मिलते हैं। उन्हें शिक्षा, करियर और जीवन के हर क्षेत्र में प्रोत्साहित करें ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और अपने सपनों को पूरा कर सकें। - सुरक्षा को प्राथमिकता दें
महिला सुरक्षा को हर नागरिक की प्राथमिकता होनी चाहिए। यह केवल परिवार तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि हमें समाज में भी एक सम्मानजनक और सुरक्षित वातावरण बनाने की आवश्यकता है, जिसमें महिलाएं बिना किसी डर के अपनी बात रख सकें और स्वतंत्र रूप से जीवन जी सकें।
नवरात्रि के इस समय में, जब हम कन्या पूजन करते हैं, तो यह हमें यह भी याद दिलाता है कि नारी का सम्मान करना एक जीवनदायिनी कार्य है। हमें अपनी सोच और आचरण में सुधार लाकर नारी के सम्मान को बढ़ावा देना चाहिए।