Saturday, September 13, 2025
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कालूसिद्ध मंदिर में भाजपाइयों को रोके जाने पर विवाद, सीएम के हस्तक्षेप का इंतजार

कालूसिद्ध मंदिर में भाजपाइयों को रोके जाने पर विवाद, सीएम के हस्तक्षेप का इंतजार

हल्द्वानी, 7 जून। शहर के प्रतिष्ठित श्री कालूसिद्ध मंदिर में शनिवार को आयोजित प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान उस समय विवाद की स्थिति बन गई जब एसएसपी पीएन मीणा द्वारा भाजपा नेताओं को मंदिर परिसर में प्रवेश से रोक दिया गया। इस घटनाक्रम ने न केवल कार्यक्रम की गरिमा को प्रभावित किया, बल्कि सोशल मीडिया पर भी यह मामला तेजी से वायरल हो गया है। अब सभी की निगाहें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर टिकी हैं, जिनसे मामले में स्पष्ट रुख की अपेक्षा की जा रही है।

विवाद का कारण: रस्सी के इस पार भाजपा नेता

घटना के दौरान भाजपा नेता चंदन सिंह बिष्ट ने जब जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष आनंद दरम्वाल और पार्षद राजेंद्र अग्रवाल उर्फ मुन्ना को मंदिर में प्रवेश दिलाने की बात कही, तो एसएसपी का जवाब था, “पार्षद हो या मेयर, कोई फर्क नहीं पड़ता।” इस बयान से भाजपा नेता नाराज़ हो गए और काफी देर तक पुलिस व भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच बहस और तनाव की स्थिति बनी रही।

भावनात्मक क्षण और आरोप

चंदन सिंह बिष्ट ने इसे भाजपा कार्यकर्ताओं का अपमान बताया और सार्वजनिक रूप से भावुक हो गए। दायित्वधारी रेनू अधिकारी ने भी पुलिस पर कार्यकर्ताओं को अपमानित करने का आरोप लगाया। बाद में भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इस पूरे मामले की शिकायत की, जिस पर सीएम ने संज्ञान लेने का आश्वासन दिया।

मुख्यमंत्री के साथ कुछ को मिली एंट्री, बाकी हुए बाहर

कार्यक्रम में जब मुख्यमंत्री धामी पहुंचे तो उनके साथ कुछ चुनिंदा नेता और कार्यकर्ता मंदिर परिसर में प्रवेश कर सके, लेकिन बाकी को पुलिस ने रोके रखा। इससे भाजपा के अंदर ही अंदर नाराजगी की चिंगारी सुलग रही है।


व्यंग्य में वायरल: “गंजा बंदर और खबरों का भोपू”

सोशल मीडिया पर एक कथित “गंजा बंदर” नामक चरित्र द्वारा व्यंग्यात्मक पोस्टों और टिप्पणियों के जरिए इस प्रकरण को लेकर खबरें वायरल हो रही हैं। उसे एक “नेता का खबरी” कहा जा रहा है, जो अपनी तोप जैसी पोस्टों से खबरों का भोपू बजा रहा है। यह टिप्पणी आमजन में चर्चा का विषय बनी हुई है और घटना को हल्के-फुल्के मगर चुभते अंदाज़ में व्याख्यायित कर रही है।


फिलहाल माहौल शांत, लेकिन लपटें बाकी हैं

मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद फिलहाल विवाद शांत नजर आ रहा है, लेकिन भाजपा के कई कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के भीतर असंतोष बना हुआ है। यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री इस पूरे मामले में किस तरह का निर्णय लेते हैं और प्रशासन तथा पार्टी के बीच संतुलन कैसे स्थापित करते हैं।

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