नानकमत्ता: 2027 के लिए बदलता राजनीतिक समीकरण
नानकमत्ता की राजनीति 2027 के चुनाव से पहले नए मोड़ पर खड़ी दिखाई दे रही है।
नगर पंचायत अध्यक्ष प्रेम टुरना, जो कांग्रेस छोड़कर पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं, फिलहाल भाजपा टिकट के मजबूत दावेदार बनकर उभर रहे हैं। उन्हें पार्टी में लाने वाले वरिष्ठ नेता भी आगामी विधानसभा चुनाव में उनका टिकट सुनिश्चित कराने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
दूसरी ओर, 2022 में भाजपा प्रत्याशी प्रेम सिंह राणा अपनी सीट बचाने में असफल रहे थे। उसी चुनाव में, नानकमत्ता से सटी खटीमा सीट पर भी पुष्कर सिंह धामी को हार का सामना करना पड़ा था। दोनों ही सीटों पर थारू मतदाताओं का रुख बदल जाना भाजपा के लिए बड़ा झटका माना गया था।
राणा इस समुदाय को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल नहीं हो सके थे — यही हार का मुख्य कारण बताया गया।
अब बदले हुए राजनीतिक परिदृश्य में नानकमत्ता सीट को भाजपा के लिए सुरक्षित नहीं माना जा रहा है।
ऐसे में पार्टी के भीतर चर्चा है कि नए “राणा चेहरा” या नया नेतृत्व प्रस्तुत करने से भाजपा को यहां नई ऊर्जा और उम्मीद मिल सकती है।
नानकमत्ता में चुनावी सरगर्मी बढ़ने लगी है।
पिछले चुनाव में हारने के बावजूद प्रेम सिंह राणा इस बार जीत के लिए पूरी शक्ति से जुटे हैं। क्षेत्र में “घर–घर राणा की दस्तक” अभियान तेज किया गया है।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या भाजपा उन्हें दोबारा टिकट देगी?
क्योंकि पार्टी के अंदर से ही एक पूर्व मजबूत दावेदार भी मैदान में पूरी सक्रियता के साथ उतर चुके हैं, जो टिकट के लिए चुनौती पैदा कर रहे हैं।
नानकमत्ता में दिलचस्प बात यह है कि
लोग आज भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को स्थानीय विधायक से ज्यादा पसंद करते हैं,लेकिन इसके बावजूद इस सीट पर अब तक राणा के अलावा कोई भी विधायक नहीं जीत पाया है,क्योंकि यहां थारू मतदाताओं की संख्या निर्णायक मानी जाती है। 2027 के चुनाव में नानकमत्ता कितना ‘प्रेम धुन’ में रमेगा — यह देखने वाला होगा।


