देहरादून के एक निजी अस्पताल में पथरी के ऑपरेशन के बाद युवक की मौत से आक्रोश फैल गया है। परिजनों ने सर्जन डॉ. केके. टम्टा पर नशे की हालत में ऑपरेशन और गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
- ऑपरेशन टेबल से अर्थी तक: देहरादून में कथित मेडिकल लापरवाही से युवक की जान गई
- गर्भवती पत्नी और बूढ़े माता-पिता को छोड़ गया युवक, डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप
- निजी अस्पताल में हंगामा, सर्जन डॉ. केके. टम्टा हिरासत में
- ‘सच नहीं बताया गया’: मरीज की हालत बिगड़ने पर परिजनों से जानकारी छिपाने का आरोप
देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक निजी अस्पताल में हुए पथरी के ऑपरेशन के बाद युवक की मौत ने चिकित्सा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मृतक के परिजनों ने सर्जन डॉ. के.के. टम्टा पर इलाज में घोर लापरवाही, समय पर सही जानकारी न देने और यहां तक कि नशे की हालत में ऑपरेशन करने जैसे बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। युवक की मौत के बाद अस्पताल परिसर में देर रात तक हंगामा होता रहा, जिसके बाद पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। जानकारी के अनुसार मृतक अजय सोनकर को पित्त की थैली में पथरी की शिकायत थी।
पेट दर्द की समस्या होने पर परिजन उसे डॉ. के.के. टम्टा के निजी क्लीनिक पर दिखाने ले गए थे। वहीं से डॉक्टर की सलाह पर अजय को देहरादून के रायपुर क्षेत्र स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। परिजनों का कहना है कि ऑपरेशन से पहले अजय की हालत सामान्य थी और किसी भी तरह का गंभीर खतरा नहीं बताया गया था। परिजनों का आरोप है कि ऑपरेशन के दौरान भारी लापरवाही बरती गई। उनका कहना है कि ऑपरेशन के बाद अजय की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी, लेकिन अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों ने स्थिति की गंभीरता को छिपाए रखा। जब तक परिजनों को सही जानकारी दी गई, तब तक बहुत देर हो चुकी थी और कुछ ही समय में युवक की मौत हो गई।
परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर नशे की हालत में थे, जिसकी निष्पक्ष जांच कराई जानी चाहिए। युवक की मौत की खबर फैलते ही परिजन और स्थानीय लोग अस्पताल परिसर में जमा हो गए और जमकर विरोध प्रदर्शन किया। गुस्साए परिजनों ने डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की। स्थिति बिगड़ने पर देहरादून पुलिस मौके पर पहुंची और हालात को नियंत्रित किया। पुलिस ने आरोपी सर्जन डॉ. के.के. टम्टा को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।
मृतक के मामा राजेश ने बताया कि अजय घर का इकलौता कमाने वाला था। ऑपरेशन से पहले किसी तरह के खतरे की बात नहीं कही गई थी, लेकिन ऑपरेशन के बाद अचानक मौत हो जाना साफ तौर पर लापरवाही की ओर इशारा करता है। वहीं मृतक की पत्नी के भाई अनिल ने बताया कि अजय की पत्नी सात माह की गर्भवती है और घर में बुजुर्ग माता-पिता हैं। परिवार के सामने अब रोजी-रोटी और भविष्य का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने सरकार और प्रशासन से आर्थिक सहायता के साथ-साथ दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
दूसरी ओर अस्पताल प्रशासन की ओर से सफाई भी दी गई है। प्राइमस हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. जैनेंद्र कुमार का कहना है कि मरीज डॉ. के.के. टम्टा के निजी क्लीनिक से परामर्श के बाद अस्पताल आया था और ऑपरेशन ऑन-कॉल आधार पर अस्पताल की ओटी में किया गया। उनके अनुसार ऑपरेशन के बाद मरीज की पल्स रेट अचानक बढ़ गई और वेंट्रिकुलर कार्डियक अरेस्ट के कारण उसकी मौत हुई। हालांकि परिजन इस दावे से संतुष्ट नहीं हैं और स्वतंत्र जांच की मांग कर रहे हैं।
फिलहाल पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के वास्तविक कारणों की पुष्टि हो सकेगी। यदि जांच में मेडिकल लापरवाही या अन्य आरोप सही पाए जाते हैं, तो संबंधित डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह मामला एक बार फिर निजी अस्पतालों में इलाज की जवाबदेही और मरीजों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है।


