भारत-चीन युद्ध के बाद से उत्तरकाशी जिले का सीमांत जादुंग गांव वीरान पड़ा हुआ था, लेकिन अब इसे पर्यटन ग्राम के रूप में पहचान मिलने वाली है। इस लक्ष्य के लिए प्रदेश सरकार ने पर्यटन विकास की योजना पर काम शुरू कर दिया है। शीतकाल में रुके निर्माण कार्यों को अप्रैल और मई महीने से फिर से आरंभ करने की योजना है।
1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद से जादुंग गांव वीरान था, लेकिन पिछले साल से यहां की खामोशी टूटने लगी है। सरकार ने इस गांव को पर्यटन ग्राम के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) को इस कार्य का दायित्व सौंपा गया है। जीएमवीएन के प्रबंध निदेशक विशाल मिश्रा के अनुसार, शीतकाल के कारण जिन निर्माण कार्यों को रोका गया था, उन्हें दो महीने बाद फिर से शुरू किया जाएगा।

पहले चरण में जीएमवीएन ने जादुंग गांव में छह पुराने और जीर्ण-शीर्ण घरों के पुनर्निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया है। इसके लिए 19 सितंबर 2024 से कार्य शुरू किया गया था। चार घरों को पूरी तरह से ध्वस्त कर उनका पुनर्निर्माण किया जा चुका है। इस कार्य के लिए 365.33 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई थी, जिसमें से शासन स्तर पर 146 लाख रुपये की राशि अवमुक्त की जा चुकी है। इसके अलावा, आठ अन्य भवनों के पुनर्निर्माण के लिए 493.36 लाख रुपये का अनुमान तैयार किया गया है।
जादुंग गांव में उत्सव मैदान बनाए जाने के बाद यहां की रौनक लौट आएगी। इसके लिए 997.31 लाख रुपये का अनुमान तैयार किया गया है। साथ ही, भेरोंघाटी जादुंग मोटर मार्ग पर हिंडोलीगढ़ में कारवां पार्क के विकास के लिए 999.89 लाख रुपये का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
जादुंग गांव में 91.38 लाख रुपये की लागत से प्रवेश द्वार और चेक पोस्ट का निर्माण कार्य अप्रैल महीने से शुरू किया जाएगा। इसके अलावा, भेरोंघाटी जादुंग मोटर मार्ग पर गर्तांग गली के सामने स्थित हवा बैंड में व्यू प्वाइंट बनाने के लिए 50.43 लाख रुपये और श्रीकांठा में व्यू प्वाइंट के लिए 66 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई है।
सीमांत क्षेत्रों के विकास के लिए राज्य सरकार गंभीरता से काम कर रही है। जादुंग गांव को पर्यटन ग्राम के रूप में विकसित करने के लिए काम शुरू किया गया है। हमारी कोशिश है कि जादुंग गांव पर्यटन के मानचित्र पर प्रभावी रूप से उभरकर सामने आए, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिल सकें। – पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री