उत्तराखंड में राज्य आंदोलनकारी के रूप में चिन्हीकरण को लेकर भी एक बार फिर प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है.
देहरादून: लंबे संघर्ष और बलिदान के बाद पहाड़ी राज्य उत्तरांचल यानी उत्तराखंड मिला. राज्य गठन के 25 साल पूरे होने पर जहां सरकार एक तरफ रजत जयंती वर्ष के रूप में राज्य स्थापना दिवस मना रही है तो वहीं उत्तराखंड राज्य का गठन के लिए बलिदान देने वाले राज्य आंदोलनकारियों को लेकर भी राज्य सरकार बड़ी तैयारी कर रही है.
उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी सम्मान परिषद के उपाध्यक्ष सुभाष बर्थवाल ने बताया कि स्वाभाविक रूप से यह सर्वाधिक और सर्वसाधारण सत्य है कि जन संघर्षों के गर्भ से इस राज्य का जन्म हुआ है. इस राज्य को बनाने में माताओं, बहनों और नौजवानों ने अपना योगदान दिया. उनकी कुर्बानियों से ही इस राज्य का निर्माण हुआ.
सुभाष बर्थवाल ने कहा कि बहुत सारी इच्छाएं आकांक्षाएं और लोगों की मनोकामनाएं इस राज्य को लेकर उस समय थी, वो आज भी है. इस साल राज्य गठन के 25 साल पूरे होने पर रजत जयंती वर्ष के रूप में सरकार राज्य स्थापना दिवस मना रही है.
सरकार जहां एक तरफ सभी वर्गों को ध्यान में रखकर राज्य को विकास के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए सरकार काम कर रही है तो वहीं इस राज्य के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने वाले शहीदों को लेकर भी सरकार लगातार काम कर रही है.
राज्य आंदोलनकारी से संबंधित कई मांगे लंबित: उन्होंने बताया कि प्रदेश में राज्य आंदोलनकारी से संबंधित कई मांगे लंबित हैं, जिसमें चिन्हीकरण का विषय हो या फिर पेंशन वृद्धि का मामला हो. इसके अलावा क्षैतिज आरक्षण को लेकर भी आंदोलनकारी की मांग लगातार चली आ रही है.
इन सभी विषयों पर सरकार लगातार सकारात्मक दिशा में प्रयास कर रही है. उन्होंने बताया कि कल ही इस विषय में उनकी गृह सचिव से काफी लंबी वार्ता हुई है. इन सभी विषयों पर कुछ ना कुछ समाधान निकाला जा रहा है.
8 नवंबर को राज्य आंदोलनकारी को मिलेगी बड़ी सौगात: सुभाष बर्थवाल ने एक और भी इशारा किया कि राज्य स्थापना दिवस के मौके पर 8 नवंबर यानी राज्य स्थापना दिवस से ठीक 1 दिन पहले जब प्रदेश स्तर पर राज्य आंदोलनकारियों से जुड़ा एक बड़ा कार्यक्रम होगा. उस कार्यक्रम में राज्य आंदोलनकारी का सम्मान किया जाएगा.
इसी दौरान सीएम धामी राज्य आंदोलनकारियों से जुड़ा कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलनकारी का सम्मान पूरे प्रदेशभर में तहसील स्तर पर भी किया जाएगा. आज कई राज्य आंदोलनकारी बुजुर्ग अवस्था में है और चल फिरने की अवस्था में नहीं हैं. ऐसे लोगों को तहसील स्तर अधिकारी उनके घर पर जाकर सम्मानित करेंगे.



