Saturday, September 13, 2025
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माणा गांव में शुरू हुआ 12 वर्षों बाद पुष्कर कुंभ, दक्षिण भारत से पहुंचे श्रद्धालुओं ने किया पवित्र स्नान

माणा गांव में शुरू हुआ 12 वर्षों बाद पुष्कर कुंभ, दक्षिण भारत से पहुंचे श्रद्धालुओं ने किया पवित्र स्नान The Pushkar Kumbh, which began in Maan village after 12 years, saw devotees arriving from South India for a sacred bath.

केशव प्रयाग में आस्था और परंपरा का संगम, प्रशासन ने किए व्यापक इंतजाम

चमोली जनपद के सीमांत गांव माणा में स्थित केशव प्रयाग में 12 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद पुष्कर कुंभ का भव्य आयोजन विधि-विधान के साथ आरंभ हो गया है। जैसे ही यह दुर्लभ आयोजन शुरू हुआ, बदरीनाथ धाम और माणा गांव में तीर्थयात्रियों की चहल-पहल बढ़ गई। विशेष रूप से दक्षिण भारत से आए वैष्णव परंपरा के श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई और पूजा-अर्चना की।

जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पैदल मार्गों का उन्नयन किया गया है और वहां विभिन्न भाषाओं में साइन बोर्ड लगाए गए हैं। साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से मार्ग पर पुलिस बल, तथा संगम स्थल पर एसडीआरएफ के जवानों की तैनाती की गई है। तहसील प्रशासन को पूरे आयोजन की नियमित निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि किसी प्रकार की असुविधा न हो।

पुष्कर कुंभ का ज्योतिषीय और धार्मिक महत्व

पुष्कर कुंभ का आयोजन तब होता है जब गुरु (बृहस्पति) ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश करता है — यह संयोग हर 12 वर्ष में एक बार आता है। इसी ज्योतिषीय स्थिति के दौरान, अलकनंदा और सरस्वती नदियों के संगम स्थल केशव प्रयाग में यह विशेष कुंभ मेले जैसा आयोजन किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दक्षिण भारत के महान संत रामानुजाचार्य और माधवाचार्य ने यहीं पर मां सरस्वती से ज्ञान प्राप्त किया था। इसके अलावा, महर्षि वेदव्यास ने भी यहीं तप कर महाभारत की रचना की थी।

आस्था से जुड़ता भारत

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर कहा:

“तीर्थ स्थल केवल धार्मिक आस्था के केंद्र नहीं हैं, बल्कि ये देश की एकता और सांस्कृतिक समरसता के प्रतीक भी हैं। देशभर, विशेषकर दक्षिण भारत से श्रद्धालुओं की उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि माणा गांव में आयोजित पुष्कर कुंभ उत्तर और दक्षिण भारत को आपस में जोड़ने वाला सेतु बन रहा है। यह आयोजन ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को सजीव करता है।”

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