Sunday, December 28, 2025
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अंकिता भंडारी हत्याकांड पर कांग्रेस का जोरदार प्रदर्शन, देहरादून में निकाला कैंडल मार्च

गणेश गोदियाल का सरकार पर हमला, सीबीआई जांच की दोहराई मांग

देहरादून। अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर उत्तराखंड की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। मामले में न्याय की मांग को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने राजधानी देहरादून में जोरदार प्रदर्शन किया और कैंडल मार्च निकालकर अपना विरोध दर्ज कराया। इस दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी मार्च में शामिल हुए और राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।

कैंडल मार्च को संबोधित करते हुए गणेश गोदियाल ने कहा कि अंकिता की हत्या सिर्फ एक आपराधिक घटना नहीं है, बल्कि यह सत्ता के संरक्षण में दबाए गए सच का प्रतीक बन चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार शुरू से ही आरोपियों को बचाने का प्रयास करती रही है, जिससे जनता के बीच सरकार की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। गोदियाल ने कहा कि एक बेटी को न्याय दिलाने में सरकार की उदासीनता बेहद शर्मनाक है।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री एवं उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत गौतम और भाजपा विधायक रेणु बिष्ट की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि इन नामों पर लगातार चर्चाएं होने के बावजूद अब तक किसी भी स्तर पर निष्पक्ष जांच नहीं कराई गई। उन्होंने कहा कि जब भाजपा से जुड़े लोग स्वयं ‘वीआईपी संरक्षण’ की बात सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर रहे हैं, तो फिर सरकार सीबीआई जांच से पीछे क्यों हट रही है।

इस बीच, अंकिता हत्याकांड को लेकर राज्य की सियासत और तेज हो गई है। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश संगठन से रिपोर्ट तलब की है। हालांकि, कांग्रेस का आरोप है कि जब तक निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच नहीं होगी, तब तक सच्चाई सामने नहीं आ पाएगी।

गणेश गोदियाल ने दोहराया कि कांग्रेस पार्टी किसी भी दबाव में झुकने वाली नहीं है और दोषी चाहे कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, उसे कानून के दायरे में लाकर सजा दिलाई जाएगी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अंकिता को न्याय दिलाने की लड़ाई अंतिम निर्णय तक जारी रहेगी।

कांग्रेस की प्रमुख मांगें

दुष्यंत गौतम और रेणु बिष्ट की भूमिका की निष्पक्ष जांच कर तत्काल कार्रवाई की जाए।

पूरे हत्याकांड की सीबीआई से जांच कराई जाए, जिसकी निगरानी सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करें।

जांच प्रक्रिया को किसी भी वीआईपी, राजनीतिक दबाव या सत्ता संरक्षण से पूरी तरह मुक्त रखा जाए।

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