उत्तराखण्ड राज्य स्थापना की रजत जयंती — 25 वर्षों की विकास यात्रा और वर्तमान परिप्रेक्ष्य
देहरादून, जिसे “देवभूमि उत्तराखण्ड” के नाम से जाना जाता है, अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक धरोहर और अध्यात्मिक पहचान के लिए प्रसिद्ध है। यह राज्य 9 नवम्बर 2000 को अस्तित्व में आया था, और आज रजत जयंती वर्ष 2025 में अपने 25 वर्षों की विकास यात्रा का साक्षी बन रहा है।
राजनीतिक सफर: 25 वर्षों का इतिहास
राज्य गठन के बाद से उत्तराखण्ड ने कई मुख्यमंत्रियों को देखा —
पहले मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी बने, जिनके बाद भगत सिंह कोश्यारी ने पद संभाला।
वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बने। उनके कार्यकाल में राज्य में उद्योगों की स्थापना और रोजगार के अवसरों का विस्तार हुआ। यह वह दौर था जब उत्तराखण्ड ने विकास की ठोस नींव रखी।
इसके बाद 2007 में सत्ता परिवर्तन हुआ और भुवन चंद्र खंडूरी ने मुख्यमंत्री पद संभाला। उनके सख्त प्रशासनिक निर्णयों ने शासन में अनुशासन लाया, परंतु राजनीतिक अस्थिरता के कारण उनका कार्यकाल अधूरा रह गया।
बाद में रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ मुख्यमंत्री बने, परंतु उन्हें भी जल्द ही पद छोड़ना पड़ा, और खंडूरी को दोबारा मुख्यमंत्री बनाया गया।
2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता में लौटी और विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री बने। 2014 में उनकी जगह हरीश रावत को जिम्मेदारी सौंपी गई। हरीश रावत सरकार ने आपदा प्रभावित केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण का कार्य किया, परंतु रोजगार और औद्योगिक क्षेत्र में अपेक्षित प्रगति नहीं हो सकी।
2017 के चुनावों में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई और आज तक वापसी नहीं कर सकी।
बीजेपी युग और पुष्कर सिंह धामी का नेतृत्व
2017 में भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई।
पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत, फिर तीरथ सिंह रावत, और उसके बाद पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। धामी, जो राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं, 2022 में दूसरी बार पद संभालने के बाद से लगातार राज्य की विकास योजनाओं पर कार्य कर रहे हैं।
धामी सरकार ने राज्य को ड्रग-फ्री, डिजिटल, और आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड बनाने के लक्ष्य के साथ अनेक जन-हितकारी योजनाएँ लागू की हैं।
उनका नेतृत्व न केवल संगठनात्मक रूप से मजबूत माना जा रहा है, बल्कि वह हर वर्ग को साथ लेकर चलने वाले नेता के रूप में उभरे हैं।
रजत जयंती वर्ष — आत्मचिंतन और संकल्प का समय
उत्तराखण्ड की 25 वर्षीय यात्रा उपलब्धियों, चुनौतियों और अनुभवों से भरी रही है।
आज जब राज्य अपनी रजत जयंती मना रहा है, यह अवसर है कि हम अपने अतीत से सीखते हुए एक नए भविष्य का संकल्प लें।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य विकास के नए आयाम छू रहा है।
उनकी कार्यशैली में सनातन संस्कृति के संरक्षण और हर वर्ग के विकास की झलक स्पष्ट दिखाई देती है।
यह कहा जा सकता है कि उत्तराखण्ड अब एक नई दिशा और नई सोच के साथ आगे बढ़ रहा है।
लेखक: नारायण परगाई
संपादक, उत्तराखण्ड का पहला डिजिटल पोर्टल — “भड़ास फॉर इंडिया”



