त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव: भाजपा नेताओं के लिए ‘लिटमस टेस्ट’
देहरादून, 10 जुलाई। उत्तराखंड में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव सिर्फ स्थानीय निकायों की राजनीतिक तस्वीर तय नहीं करेंगे, बल्कि भाजपा संगठन के लिए राजनैतिक लिटमस टेस्ट भी साबित होंगे। पार्टी ने इन चुनावों को आगामी विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारियों से जोड़ते हुए, विभिन्न जिलों और ब्लॉकों में वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं को प्रभारी नियुक्त किया है। इन प्रभारियों के प्रदर्शन के आधार पर भविष्य में उनके राजनीतिक कद में वृद्धि या कमी तय मानी जा रही है।
राजनीतिक दक्षता की परीक्षा
त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में खासकर ब्लॉक प्रमुख पदों पर वर्चस्व कायम करने के लिए भाजपा ने अपने अनुभवी और सक्रिय नेताओं को प्रभारी बनाकर मैदान में उतारा है। इन नेताओं की ज़िम्मेदारी सिर्फ पार्टी प्रत्याशियों को जिताने तक सीमित नहीं है, बल्कि नीतिगत रणनीति, मैदानी समन्वय और स्थानीय समीकरणों को साधना भी शामिल है। पार्टी नेतृत्व साफ कर चुका है कि जो प्रभारी इन चुनौतियों में सफल होंगे, उन्हें आगामी चुनावों में अहम भूमिका दी जाएगी।
प्रदेशभर में नियुक्त किए गए चुनाव प्रभारी
गढ़वाल मंडल से लेकर कुमाऊँ और तराई क्षेत्र तक लगभग हर ब्लॉक में भाजपा ने चुनाव प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं। इनमें कई पूर्व विधायक, जिला पंचायत सदस्य, वरिष्ठ कार्यकर्ता और संगठन के सक्रिय चेहरे शामिल हैं। उदाहरण स्वरूप:
- उत्तरकाशी: डॉ. विजय बडोनी (नौगांव), सत्ये सिंह राणा (पुरोला), राम सुंदर नौटियाल (भटवाड़ी)
- चमोली: हरक सिंह नेगी (पोखरी), गजेंद्र सिंह रावत (थराली), कृष्ण मणि थपलियाल (गैरसैंण)
- देहरादून: यशपाल नेगी (विकासनगर), संजय गुप्ता (सहसपुर), ओमवीर राघव (रायपुर), नलिन भट्ट (डोईवाला)
- पौड़ी: सुधीर जोशी (क्लजीखाल), सुषमा रावत (थलीसैंण), यशपाल बेनाम (पाबो)
- कुमाऊं मंडल: धन सिंह धामी (धारचूला), गणेश भंडारी (मुनकोट), ललित पंत (गंगोलीहाट), सुभाष पांडे (भिकियासैंण), दीपक मेहरा (धारी), गुंजन सुखीजा (रामनगर), विवेक सक्सेना (काशीपुर), दिनेश आर्य (रुद्रपुर) इत्यादि।
पार्टी के भीतर संदेश साफ
प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने स्पष्ट किया कि प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के निर्देश पर सभी ब्लॉकों में प्रभारियों की तैनाती की गई है। इसका उद्देश्य पंचायत स्तर तक संगठन को सक्रिय करना और जनता के बीच पार्टी की पकड़ मजबूत बनाना है। वहीं संगठन सूत्रों का मानना है कि यह अभियान राजनीतिक छंटनी और मूल्यांकन का हिस्सा भी है।
पार्टी के लिए फायदे – नेताओं के लिए चुनौती
पार्टी को जहां इससे स्थानीय स्तर पर संगठन मजबूती और कार्यकर्ताओं में सक्रियता मिलेगी, वहीं यह नेताओं के लिए खुद को साबित करने का अवसर और चुनौती दोनों है। पंचायत चुनाव की यह प्रयोगशाला उनके नेतृत्व कौशल, रणनीतिक दृष्टिकोण और जनसंपर्क की असल परीक्षा है।
निष्कर्ष:
उत्तराखंड भाजपा ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को केवल स्थानीय राजनीति तक सीमित न रखते हुए उसे राजनीतिक नेतृत्व के परीक्षण का माध्यम बना दिया है। इन चुनावों से तय होगा कि 2027 के विधानसभा रण में पार्टी किन चेहरों पर दांव लगाएगी।