देहरादून उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव को लेकर राजनैतिक सरगर्मिया तेज हो चली है चुनाव की दस्तक के बाद प्रत्याशी अपने राजनैतिक आकाओं के दरबार में हज़ारी लगा चुके है सीट में आरक्षण को लेकर किसके हाथ बाजी लगी है इसका खुलासा आरक्षण होने के बाद तय होगा निकाय चुनाव में इस बार दावेदार अधिक होने से बीजेपी कांग्रेस दोनों ही राजनैतिक दलों के लिए जीत दर्ज करना टेडी खीर साबित होने जा रहा है
2018 के निकाय चुनाव में सभी निगम, पालिका व नगर पंचायतों में 14 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू था। इस बार एकल सदस्यीय समर्पित आयोग ने ओबीसी की आबादी के हिसाब से सीटों का आरक्षण तय किया है। इसकी रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण लगेगा।
वहीं, नगर पालिका मंगलौर (हरिद्वार) में सर्वाधिक 50 प्रतिशत और जसपुर (ऊधमसिंह नगर) में 45 प्रतिशत सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित होंगी। राज्य में 2018 के निकाय चुनाव में सभी निगम, पालिका व नगर पंचायतों में 14 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू था। इस बार एकल सदस्यीय समर्पित आयोग ने ओबीसी की आबादी के हिसाब से सीटों का आरक्षण तय किया है। इसकी रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण लगेगा।
इस रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि 14 नगर पालिकाओं और 23 नगर पंचायतों में ओबीसी के हाथ एक भी सीट नहीं आएगी। नगर पालिका मंगलौर में ओबीसी की आबादी 67.73 होने के चलते यहां 20 में से 10 सीटें ओबीसी की होंगी। बाकी 10 अनारक्षित होंगी। नगर पालिका जसपुर में आबादी 63.52 प्रतिशत होने के चलते यहां 20 में से नौ सीटें ओबीसी की होंगी। 10 अनारक्षित और एक अनुसूचित जाति की होगी।
नगर निगम आरक्षण को लेकर दो नगर निगम मेयर पहली बार ओबीसी से आने जा रहे है आयोग ने अपनी रिपोर्ट में प्रदेश के 11 नगर निगमों में से मेयर के दो पद ओबीसी करने की सिफारिश की है। बाकी आठ पद अनारक्षित, एक पद अनुसूचित जाति का होगा। नगर पालिकाओं में चेयरमैन के 45 में से 13 पद ओबीसी के होंगे। बाकी 25 पद अनारक्षित, छह पद अनुसूचित जाति और एक पद अनुसूचित जनजाति का होगा।