मैथिली ठाकुर के राजनीति में कदम रखने की अटकलें तेज, बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चर्चाएं गरम
पटना / जबलपुर, अक्टूबर 2025:सियासत कब किसे हीरो बना दे और कब किसी को हाशिए पर ढकेल दे — इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है। बिहार की राजनीति में अब एक नया नाम सुर्खियों में है — लोकप्रिय भक्ति गायिका मैथिली ठाकुर। संगीत की दुनिया में अपनी मधुर आवाज़ और भक्ति गीतों से पहचान बनाने वाली मैथिली ठाकुर के राजनीतिक मैदान में उतरने की अटकलें अब तेज़ हो गई हैं।
सूत्रों के अनुसार, हाल ही में मैथिली ठाकुर ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और बीजेपी के वरिष्ठ नेता विनोद तावड़े से मुलाकात की है। इस मुलाकात के बाद यह चर्चा ज़ोर पकड़ने लगी है कि मैथिली 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में चुनावी किस्मत आज़मा सकती हैं। बताया जा रहा है कि इस मुलाकात के दौरान उनके पिता भी साथ मौजूद थे।
मैथिली ठाकुर ने खुद क्या कहा?
जबलपुर दौरे पर पहुंचीं मैथिली ठाकुर से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा:
“मैं भी टीवी पर ये खबरें देख रही हूं। हाल ही में बिहार में मेरी नित्यानंद राय जी और विनोद तावड़े जी से मुलाकात हुई थी। हमने बिहार के भविष्य को लेकर बातें कीं, लेकिन अभी तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। देखते हैं आगे क्या होता है।”
अपने राजनीतिक रुझान को लेकर उन्होंने साफ कहा,
“मैं अपने गांव के क्षेत्र से चुनाव लड़ना पसंद करूंगी, क्योंकि उस जगह से भावनात्मक जुड़ाव है।”
जब उनसे यह पूछा गया कि बिहार चुनाव में वे किसे समर्थन देंगी, तो उन्होंने फिलहाल किसी तरह की राजनीतिक प्रतिबद्धता जताने से इनकार करते हुए कहा:
“मैं इस पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती। हां, देश के विकास में जितना संभव हो, योगदान देने के लिए तैयार हूं।”
बदले बिहार में लौटने की चाह
यह भी कहा जा रहा है कि वर्ष 1995 में, जब बिहार में लालू यादव का शासन आया था, तब मैथिली ठाकुर का परिवार बिहार छोड़कर बाहर चला गया था। लेकिन अब बदलते बिहार की तस्वीर और विकास की रफ्तार देखकर परिवार की यह होनहार बेटी एक बार फिर अपने राज्य की सेवा करने की इच्छा लेकर बिहार लौटने को तैयार दिख रही हैं।
क्या मैथिली ठाकुर बनेंगी बीजेपी का नया चेहरा?
बीजेपी सूत्रों की मानें तो पार्टी राज्य में युवा, लोकप्रिय और साफ-सुथरी छवि वाले चेहरों को आगे लाने की रणनीति पर काम कर रही है। ऐसे में मैथिली ठाकुर का नाम इस रणनीति में फिट बैठता है।
उनकी लोकप्रियता, सांस्कृतिक जड़ें, और परिवार की सामाजिक स्वीकार्यता उन्हें एक मजबूत प्रत्याशी बना सकती है — खासकर ग्रामीण, महिला और युवा वोटरों के बीच।
📌 फिलहाल निष्कर्ष?
हालांकि, अभी तक किसी भी राजनीतिक दल या स्वयं मैथिली ठाकुर की ओर से औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन जिस तरह से घटनाक्रम तेजी से बढ़ रहे हैं, उससे ये साफ है कि उनके राजनीति में प्रवेश की संभावनाएं नकारा नहीं जा सकतीं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले अगर मैथिली ठाकुर सियासत में उतरती हैं, तो यह राज्य की राजनीति को एक नया आयाम दे सकता है — जहां भक्ति के सुर अब जनसेवा के मंच पर गूंज सकते हैं।