प्रयागराज, मकर संक्रांति के मौके पर महाकुंभ के पहले अमृत स्नान ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जब शहर की आबादी एक दिन के लिए दुनिया का सबसे बड़ा शहर बन गई। इस दिन 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में पुण्य की डुबकी लगाई, जिससे प्रयागराज की कुल आबादी (लगभग 70 लाख) जोड़ते हुए 4.20 करोड़ के आंकड़े तक पहुंच गई। यह संख्या टोक्यो (3.74 करोड़) और दिल्ली (2.93 करोड़) जैसे महानगरों से भी अधिक थी, और इसके साथ ही प्रयागराज ने दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले शहर होने का खिताब एक दिन के लिए अपने नाम कर लिया।
मकर संक्रांति पर स्नान करने आए श्रद्धालुओं का हुजूम पूरे शहर में नजर आया। प्रमुख घाटों और मेला क्षेत्र के अलावा शहर के मुख्य मार्गों पर भी स्नानार्थियों की भीड़ उमड़ी। आस्था की इस अद्भुत तस्वीर ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया। श्रद्धालु हर-हर महादेव, जय श्रीराम के नारे लगाते हुए बड़ी संख्या में संगम की ओर बढ़ते रहे। वे ठंड और पैदल यात्रा की थकान के बावजूद अपनी आस्था के साथ यात्रा करते रहे।
पौष पूर्णिमा के दिन करीब 1.75 करोड़ लोग संगम में डुबकी लगाने पहुंचे थे, जबकि मकर संक्रांति के दिन यह संख्या 3.50 करोड़ तक पहुंच गई। अगर दोनों दिन की संख्या जोड़ी जाए तो यह 5.25 करोड़ हो जाती है, जो एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड है।
आखिरी में, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के स्नान पर्व पर 6 से 8 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है, जिससे यह निश्चित रूप से एक और ऐतिहासिक पल बनेगा और प्रयागराज एक बार फिर विश्व के सबसे बड़े शहर के रूप में उभरेगा।
इस उत्सव और आस्था के विशाल समागम ने न केवल धार्मिकता को दर्शाया, बल्कि संस्कृति और समाज के एकजुट होने की भी मिसाल पेश की।
