Sunday, September 14, 2025
spot_imgspot_img
HomeDeshमहाकुंभ में बन रहा समुद्र मंथन का दुर्लभ संयोग

महाकुंभ में बन रहा समुद्र मंथन का दुर्लभ संयोग

महाकुंभ 2025 का आयोजन विशेष रूप से ग्रहों की दुर्लभ स्थिति और संयोगों के कारण अत्यधिक पुण्यकारी और विशिष्ट माना जा रहा है। इस बार महाकुंभ में जो ग्रहों का संयोग बन रहा है, वह 144 वर्षों में एक बार बनता है। बुध, बृहस्पति और चंद्रमा के शुभ संयोग के साथ-साथ शनि की कुंभ राशि में स्थिति और शुक्र का राशि परिवर्तन इस महाकुंभ को खास बना रहे हैं।

ग्रहों की स्थिति और संयोग:

  1. बुधादित्य योग – बुध और सूर्य के संयोजन से यह योग बन रहा है, जो पूरे महाकुंभ को आशीर्वाद देने वाला है।
  2. कुंभ योग और राशि परिवर्तन योग – शनि की कुंभ राशि, शुक्र और बृहस्पति के राशि परिवर्तन का संयोग इस महाकुंभ को अद्वितीय बना रहा है। यह संयोग 144 वर्षों में एक बार बनता है।
  3. श्रवण नक्षत्र और सिद्धि योग – इस समय श्रवण नक्षत्र और सिद्धि योग का संयोग भी बन रहा है, जो कि त्रिवेणी के तट पर श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है।

महाकुंभ की ऐतिहासिक और पौराणिक महत्वता: महाकुंभ का आयोजन तब होता है जब देवगुरु बृहस्पति अपनी 12 राशियों का चक्र पूरा कर वृषभ राशि में आते हैं। जब बृहस्पति वृषभ में होते हैं, तब सूर्य देव मकर राशि में होते हैं और बृहस्पति की दृष्टि सूर्य पर पड़ती है, जिससे वह समय अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। महाकुंभ की अवधारणा को शास्त्रों में अत्यधिक महत्व दिया गया है, और जब यह 12 चक्र पूरे होते हैं, तो इसे पूर्ण महाकुंभ कहा जाता है।

इस बार महाकुंभ के दौरान ग्रहों की स्थिति, जो देवासुर संग्राम के समय के समान है, समुद्र मंथन की स्थिति को दर्शाती है। शुक्र और बृहस्पति की स्थिति देवगुरु और असुर गुरु की भूमिका में हैं, जैसे कि देवासुर संग्राम के दौरान था। यह महाकुंभ श्रद्धालुओं के लिए विशेष रूप से पुण्यदायक और आध्यात्मिक रूप से उन्नति देने वाला होगा।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_imgspot_imgspot_imgspot_img

Most Popular

Recent Comments