प्रयागराज महाकुंभ 2025 का आयोजन भक्तों और श्रद्धालुओं के लिए एक अद्भुत धार्मिक अनुभव बन चुका है। इस वर्ष महाकुंभ की शुरुआत पौष पूर्णिमा पर भजन-कीर्तन और जयकारों के साथ हुई, और मकर संक्रांति के दिन, विभिन्न अखाड़ों के नागा साधु संगम में पवित्र डुबकी लगा रहे हैं। इस अवसर पर महाकुंभ का दृश्य बहुत ही भव्य और श्रद्धा से भरपूर है, जहां हर-हर महादेव और जय श्रीराम के जयघोष के साथ श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं।
महानिर्वाणी अखाड़े के नागा साधुओं ने सबसे पहले अमृत स्नान किया, जिसके बाद निरंजनी, आनंद, जूना, आवाहन और पंच अग्नि अखाड़े के संतों ने भी पवित्र स्नान किया। इस दौरान संगम तट पर अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है, और संतों के साथ-साथ अन्य श्रद्धालु भी इस दिव्य स्नान का हिस्सा बन रहे हैं।

महाकुंभ में केवल भारतीय श्रद्धालु ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और एशिया के विभिन्न देशों से आए भक्त भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता से अभिभूत हो रहे हैं। वे गंगा किनारे योग, ध्यान और सत्संग में भाग लेकर आत्मशांति का अनुभव कर रहे हैं। महाकुंभ में विदेशी श्रद्धालुओं की भागीदारी इस आयोजन को और भी खास बना रही है।
अखाड़ों के संतों का स्नान सुबह के निर्धारित समय पर हो रहा है। महानिर्वाणी और अटल अखाड़े के संतों ने सुबह सवा पांच बजे स्नान के लिए प्रस्थान किया और सवा छह बजे संगम पहुंचे। इसके बाद निरंजनी और आनंद अखाड़े के संतों ने 7:05 बजे स्नान किया, और जूना, आवाहन तथा पंच अग्नि अखाड़े के संतों ने 8 बजे पवित्र स्नान किया।
इस तरह महाकुंभ का आयोजन, जिसमें आस्था, धर्म, और संस्कृति की गहरी छाप है, श्रद्धालुओं के लिए एक अद्वितीय अनुभव बन चुका है।