बिहार में मगध लिखेगा विजय मिथिलांचल बिहार में इस समय राजनीतिक हलचल अपने चरम पर है। विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासत की गर्मी हर गली-मोहल्ले में महसूस की जा रही है। जीत के दावे खुलेआम किए जा रहे हैं, जबकि मतदाता अब भी खामोश हैं। इसी खामोशी में आगामी परिणाम की दिशा छिपी प्रतीत होती है। राजनीतिक दलों से लेकर कारोबारी वर्ग तक सभी बिहार की जमीन पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हुए विजय का दावा कर रहे हैं।
फिलहाल, छठ पूजा का सूर्य बिहार के हर घर को आलोकित कर रहा है, वहीं चुनावी माहौल में लोगों की निगाहें मिथिलांचल पर टिकी हैं। माना जाता है कि यहां की 30 विधानसभा सीटें बिहार की सियासत की दिशा तय करती हैं।
इनमें से सात सीटों पर इस समय राजनीतिक संग्राम अपने चरम पर है। एनडीए इन सीटों को अपने पक्ष में करने के लिए पूरा जोर लगा रही है, जबकि आईएनडीआईए गठबंधन इन्हें किसी भी कीमत पर हाथ से जाने नहीं देना चाहता। इन सीटों में दरभंगा की एक, समस्तीपुर की चार और मधुबनी की दो सीटें शामिल हैं। वर्तमान में इनमें से छह सीटों पर राजद तथा एक पर माकपा का कब्जा है।
हाल ही में योगगुरु बाबा रामदेव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश का सबसे सशक्त नेता बताते हुए उनकी तुलना हिमालय से की। उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी का व्यक्तित्व हिमालय जितना दृढ़ है।” बिहार चुनाव को लेकर बाबा रामदेव का कहना था कि चाहे महागठबंधन हो, प्रशांत किशोर हों या ओवैसी — सभी अपनी-अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं, लेकिन एनडीए, जो वर्तमान में देश का सबसे सशक्त राजनीतिक गठबंधन है और जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री मोदी कर रहे हैं, उससे मुकाबला करना किसी विपक्षी के लिए आसान नहीं।
राजनीतिक दृष्टि से बिहार देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्यों में से एक है। लोकसभा की 543 सीटों में से 40 सीटें बिहार से आती हैं। राज्य की राजधानी पटना है। भौगोलिक रूप से बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखंड स्थित हैं। “बिहार” नाम ‘विहार’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ है — बौद्ध भिक्षुओं का निवास स्थान।
यह राज्य गंगा और उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है और ऐतिहासिक दृष्टि से भारत के कई महान साम्राज्यों की जन्मभूमि रहा है। मौर्य वंश का उदय यहीं मगध से हुआ और इसके बाद गुप्त वंश ने भी इसी भूमि से पूरे भारत पर शासन किया।
आज भी यहां की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार कृषि है। वर्ष 1936 में ओडिशा और वर्ष 2000 में झारखंड बिहार से अलग होकर स्वतंत्र राज्य बने। वर्तमान में केवल 11.3 प्रतिशत जनसंख्या शहरी क्षेत्रों में निवास करती है, जो हिमाचल प्रदेश के बाद देश में सबसे कम है।
राज्य की बागडोर लंबे समय से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों में है, और आने वाले चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार की जनता इस बार किसके हाथों में सत्ता की चाबी सौंपती है।



