Sunday, December 7, 2025
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बिहार में मगध लिखेगा विजय मिथिलांचल

बिहार में मगध लिखेगा विजय मिथिलांचल बिहार में इस समय राजनीतिक हलचल अपने चरम पर है। विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासत की गर्मी हर गली-मोहल्ले में महसूस की जा रही है। जीत के दावे खुलेआम किए जा रहे हैं, जबकि मतदाता अब भी खामोश हैं। इसी खामोशी में आगामी परिणाम की दिशा छिपी प्रतीत होती है। राजनीतिक दलों से लेकर कारोबारी वर्ग तक सभी बिहार की जमीन पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हुए विजय का दावा कर रहे हैं।

फिलहाल, छठ पूजा का सूर्य बिहार के हर घर को आलोकित कर रहा है, वहीं चुनावी माहौल में लोगों की निगाहें मिथिलांचल पर टिकी हैं। माना जाता है कि यहां की 30 विधानसभा सीटें बिहार की सियासत की दिशा तय करती हैं।

इनमें से सात सीटों पर इस समय राजनीतिक संग्राम अपने चरम पर है। एनडीए इन सीटों को अपने पक्ष में करने के लिए पूरा जोर लगा रही है, जबकि आईएनडीआईए गठबंधन इन्हें किसी भी कीमत पर हाथ से जाने नहीं देना चाहता। इन सीटों में दरभंगा की एक, समस्तीपुर की चार और मधुबनी की दो सीटें शामिल हैं। वर्तमान में इनमें से छह सीटों पर राजद तथा एक पर माकपा का कब्जा है।

हाल ही में योगगुरु बाबा रामदेव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश का सबसे सशक्त नेता बताते हुए उनकी तुलना हिमालय से की। उन्होंने कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी का व्यक्तित्व हिमालय जितना दृढ़ है।” बिहार चुनाव को लेकर बाबा रामदेव का कहना था कि चाहे महागठबंधन हो, प्रशांत किशोर हों या ओवैसी — सभी अपनी-अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं, लेकिन एनडीए, जो वर्तमान में देश का सबसे सशक्त राजनीतिक गठबंधन है और जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री मोदी कर रहे हैं, उससे मुकाबला करना किसी विपक्षी के लिए आसान नहीं।

राजनीतिक दृष्टि से बिहार देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्यों में से एक है। लोकसभा की 543 सीटों में से 40 सीटें बिहार से आती हैं। राज्य की राजधानी पटना है। भौगोलिक रूप से बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखंड स्थित हैं। “बिहार” नाम ‘विहार’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ है — बौद्ध भिक्षुओं का निवास स्थान।

यह राज्य गंगा और उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है और ऐतिहासिक दृष्टि से भारत के कई महान साम्राज्यों की जन्मभूमि रहा है। मौर्य वंश का उदय यहीं मगध से हुआ और इसके बाद गुप्त वंश ने भी इसी भूमि से पूरे भारत पर शासन किया।

आज भी यहां की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार कृषि है। वर्ष 1936 में ओडिशा और वर्ष 2000 में झारखंड बिहार से अलग होकर स्वतंत्र राज्य बने। वर्तमान में केवल 11.3 प्रतिशत जनसंख्या शहरी क्षेत्रों में निवास करती है, जो हिमाचल प्रदेश के बाद देश में सबसे कम है।
राज्य की बागडोर लंबे समय से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों में है, और आने वाले चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार की जनता इस बार किसके हाथों में सत्ता की चाबी सौंपती है।

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नारायण परगाई – उत्तराखंड के डिजिटल पत्रकारिता के अग्रदूत पूरा नाम: नारायण परगाई जन्म स्थान: देहरादून, उत्तराखंड पेशा: वरिष्ठ पत्रकार, डिजिटल मीडिया विशेषज्ञ, सामाजिक विश्लेषक प्रसिद्धि: उत्तराखंड के पहले डिजिटल न्यूज़ पोर्टल के संस्थापक, सोशल मीडिया पत्रकारिता के जनक परिचय नारायण परगाई उत्तराखंड की पत्रकारिता जगत का एक जाना-पहचाना नाम हैं। देहरादून से आने वाले इस वरिष्ठ पत्रकार ने राज्य में डिजिटल पत्रकारिता की नींव रखने का कार्य किया। वे उन पहले पत्रकारों में शामिल हैं जिन्होंने समाचार को प्रिंट और टीवी की सीमाओं से बाहर निकालकर डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया। इस दिशा में उन्होंने उत्तराखंड का पहला डिजिटल न्यूज़ पोर्टल शुरू किया, जिसने राज्य में ऑनलाइन खबरों की परंपरा को जन्म दिया। पत्रकारिता में योगदान नारायण परगाई जी को अक्सर “सोशल मीडिया का जनक” कहा जाता है क्योंकि उन्होंने न केवल सोशल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से समाचारों का प्रसार किया, बल्कि आम जनता को सूचना और संवाद के नए युग से जोड़ा। उनकी रिपोर्टिंग शैली तथ्यपरक, सामाजिक सरोकारों से जुड़ी और तकनीकी दृष्टि से आधुनिक मानी जाती है। उन्होंने समय-समय पर उत्तराखंड के सामाजिक, राजनीतिक और प्रशासनिक मुद्दों पर बेबाक लेखन किया है। उनके सुझाव और विश्लेषण न केवल पत्रकारों बल्कि सरकारी विभागों के लिए भी मार्गदर्शक सिद्ध होते हैं। नवाचार और तकनीकी दृष्टि नारायण परगाई जी नए विचारों और तकनीकी रुझानों को अपनाने के लिए जाने जाते हैं। वे निरंतर डिजिटल मीडिया, सोशल नेटवर्किंग, और नई पत्रकारिता तकनीकों पर कार्य कर रहे हैं। नई जानकारी, जनहितकारी विषयों और शासन-प्रशासन से जुड़ी खबरों को आधुनिक प्रस्तुति देने में उनकी विशेष पहचान है। प्रभाव और प्रेरणा देहरादून और पूरे उत्तराखंड में पत्रकारिता से जुड़े युवा नारायण परगाई को प्रेरणा स्रोत मानते हैं। उनकी कार्यशैली में ईमानदारी, तत्परता और नवीनता का समावेश है। वे मानते हैं कि “समाचार सिर्फ खबर नहीं, समाज को जोड़ने का माध्यम है।” उपलब्धियाँ और सम्मान उत्तराखंड में पहला डिजिटल न्यूज़ पोर्टल शुरू करने वाले पत्रकार सोशल मीडिया आधारित पत्रकारिता को मुख्यधारा में लाने का श्रेय कई समाचार संस्थानों व सामाजिक संगठनों द्वारा पत्रकारिता में नवाचार हेतु सम्मानित राज्य में डिजिटल जागरूकता और पारदर्शिता को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निष्कर्ष नारायण परगाई न सिर्फ एक पत्रकार हैं, बल्कि उत्तराखंड में डिजिटल सोच और मीडिया क्रांति के प्रतीक हैं। उनकी पहल ने यह साबित किया कि सच्ची पत्रकारिता समय के साथ बदल सकती है, लेकिन उसका उद्देश्य हमेशा एक ही रहता है — “सत्य को समाज तक पहुँचाना।”
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