Thursday, October 2, 2025
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लोनी अर्बन मल्टी-स्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट को-ऑपरेटिव सोसाइटी घोटाला

उत्तराखंड कनेक्शन के बाद हरकत में पुलिस एक्टिव नज़र आ रही है राज्य से करोड़ो रूपए लेकर गरीबो की जेब पर डाका डालते समिति की किसी को कोई खबर नहीं लगी या फिर पता होने के बाद भी जिम्मेदार इतने बड़े अंजाम देने वालो तक नहीं पहुंच पाई सवाल उठे तो अब उत्तराखंड में लोगो के सड़को पर उतर कर हंगामा किये जाने के बाद फ़िलहाल मामले की जांच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल से सीबीआई से किये जाने की संस्तुति की गई है गढ़वाल परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक राजीव स्वरूप ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से लोनी अर्बन मल्टी-स्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट को-ऑपरेटिव सोसाइटी (LUCC) से संबंधित एक बड़े वित्तीय घोटाले का खुलासा किया।

श्री स्वरूप ने बताया कि LUCC एक सहकारी समिति थी, जो मुख्यतः उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में आम जनता को वित्तीय सेवाएं प्रदान कर रही थी। इस समिति ने निवेशकों को 4 से 5 वर्षों में राशि दोगुनी करने का लालच देकर भारी निवेश आकर्षित किया।

उत्तराखंड में समिति के तत्कालीन निदेशक मानवेन्द्र द्विवेदी द्वारा केन्द्रीय रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव सोसाइटीज से बिना अनुमति के अवैध रूप से करीब 35 शाखाएं स्थापित की गईं, जहां हजारों लोगों ने अपनी पूंजी निवेश की। लेकिन, समय आने पर निवेशकों को उनकी मैच्योरिटी की राशि वापस नहीं मिली और संस्था के सभी प्रबंधक व संचालक फरार हो गए।

शिकायतों के आधार पर उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में LUCC के खिलाफ अब तक कुल 15 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें 20 आरोपी नामजद किए गए हैं। जांच के दौरान यह भी पता चला कि इस सोसाइटी के खिलाफ उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में भी 5 मुकदमे दर्ज हैं।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी बताया गया कि समीर अग्रवाल निवासी मुंबई, जो इस पूरी सोसाइटी का मुख्य संस्थापक है, वर्तमान में दुबई में रह रहा है। समीर ने कुल 6 सहकारी संस्थाएं बनाई थीं, जिनके कार्यक्षेत्र इस प्रकार हैं:

  1. LUCC – उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा
  2. LJCC – मध्यप्रदेश
  3. SSV – महाराष्ट्र
  4. SS – गुजरात, राजस्थान
  5. फोर ह्यूमन – बिहार, हरियाणा
  6. विश्वास – पंजाब

उत्तराखंड में LUCC का संचालन उर्मिला बिष्ट और जगमोहन बिष्ट द्वारा किया जा रहा था। अब तक नामजद व चिन्हित 12 अभियुक्तों को गिरफ्तार या वारंट बी के तहत तलब किया जा चुका है।

जांच में खुलासा हुआ है कि उत्तराखंड में इस संस्था ने लगभग ₹92 करोड़ की धोखाधड़ी की है, जिससे हजारों निवेशक प्रभावित हुए हैं।

इस बहु-राज्यीय धोखाधड़ी की गंभीरता को देखते हुए माननीय मुख्यमंत्री, उत्तराखंड ने स्वयं मामले का संज्ञान लिया है। उन्होंने शासन और पुलिस अधिकारियों से विस्तृत जानकारी लेकर पीड़ितों को न्याय दिलाने हेतु केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से इस पूरे मामले की जांच कराने की सिफारिश की है।

इसके तहत उत्तराखंड शासन द्वारा गृह मंत्रालय, भारत सरकार को पत्र भेजा गया है, ताकि सभी संबंधित मामलों की गहन, निष्पक्ष और त्वरित जांच CBI के माध्यम से सुनिश्चित की जा सके।

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