प्रदेशभर में हर साल इगास व बग्वाल लोकपर्व को धूमधाम से मनाया जाता है.
देहरादून: राज्य स्थापना को 25 साल पूरे हो रहे हैं. ऐसे में राज्य सरकार, प्रदेश के 25वें स्थापना दिवस को रजत जयंती वर्ष के रूप में मना रही है. जिसके तहत प्रदेश भर में तमाम कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. मुख्य रूप से अगले एक साल तक प्रदेश भर में बृहद स्तर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा. जिसकी शुरुआत उत्तराखंड के लोकपर्व इगास/बग्वाल के साथ ही शुरू हो जाएगी. दीपावली त्यौहार के 11वें दिन उत्तराखंड राज्य में बूढ़ी दीपावली यानी इगास का आयोजन किया जाता है. ऐसे में रजत जयंती वर्ष के चलते उत्तराखंड राज्य में बृहद और भव्य रूप से इगास मनाया जाएगा. जिसके लिए उत्तराखंड संस्कृति विभाग ने तैयार कर ली है.
उत्तराखंड के लोकपर्व इगास/बग्वाल की धूम प्रदेश भर में देखी जाएगी. जिसका मुख्य कार्यक्रम इगास/बग्वाल पर्व के दिन यानी 1 नवंबर को मुख्यमंत्री आवास में आयोजित किया जाएगा. इसके अलावा प्रदेश के सभी मंत्री और विधायक अपने-अपने क्षेत्र में इगास/बग्वाल पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाएंगे. उत्तराखंड में हर साल इगास पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस साल खास बात यह है कि उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस को 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं, जिसके चलते प्रदेश में बृहद स्तर पर बूढ़ी दीपावली यानी इगास पर्व मनाया जाएगा. इस आयोजन में मंत्री और विधायकों की भी बड़ी सहभागिता होगी. हालांकि संस्कृति विभाग की ओर से 1 नवंबर से 9 नवंबर तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है.
पूरे उत्तराखंड में इगास का पर मनाया जाएगा और सभी विधायक और मंत्री इस लोक पर्व को अपने-अपने क्षेत्रों में मनाएंगे, जिसमें जनता की भी पूरी सहभागिता होगी. जब कोई त्यौहार होता है तो उसमें एक उत्सव और आनंद का भाव होता है. सांस्कृतिक लोकपर्व इगास का मुख्य कार्यक्रम मुख्यमंत्री आवास पर मनाया जाएगा. ऐसे में देव संस्कृति, आध्यात्मिक संस्कृति का महासंगम, इस बार पूरे उत्तराखंड के रजत जयंती वर्ष में दिखाई देगा. साथ ही कहा कि तमाम राज्यों की संस्कृति का समागम एक मंच पर दिखाई देगा. हालांकि संस्कृति विभाग में यह निर्णय लिया है कि रजत जयंती वर्ष के अवसर पर पूरे साल भर प्रदेश भर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा.
मधु भट्ट, उपाध्यक्ष, उत्तराखंड संस्कृति, साहित्य व कला परिषद
कार्यक्रम में मुख्य रूप से स्थानीय कलाकारों के जरिए स्थानीय वेशभूषा, रहन-सहन, खान- पान की झलक देखने को मिलेगी. जिसके लिए पूरे उत्तराखंड में कलाकार क्षेत्रों में भ्रमण करेंगे, और आसानी लोगों से मिलेंगे, जिससे संस्कृति का आदान-प्रदान भी होगा. इसके लिए संस्कृति विभाग ने एक पूरी रूपरेखा की तैयार कर ली है. जिसके तहत 1 नवंबर से 9 नवंबर तक तमाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. जिसमें स्थानीय कलाकृति, बोलचाल समेत अन्य सांस्कृतिक धरोहरों को समझने के साथ ही आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का काम किया जाएगा.



