Friday, October 24, 2025
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साहित्य और संस्कृति के संरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध है राज्य सरकार: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

साहित्य और संस्कृति के संरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध है राज्य सरकार: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार उत्तराखंड की समृद्ध साहित्यिक एवं सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए निरंतर कार्य कर रही है। सरकार ने उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान की शुरुआत की है, जिसके माध्यम से राज्य के उत्कृष्ट साहित्यकारों को सम्मानित किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि ‘साहित्य भूषण’ और ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट’ जैसे पुरस्कारों के तहत राज्य के वरिष्ठ साहित्यकारों को हाल ही में ₹5 लाख की सम्मान राशि देने की घोषणा की गई है। इसके साथ ही, विभिन्न भाषाओं में ग्रंथ प्रकाशन हेतु वित्तीय सहायता योजना के माध्यम से साहित्यकारों को अनुदान भी प्रदान किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को साहित्य के प्रति आकर्षित करने के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिससे वे अपनी साहित्यिक और सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ सकें और उसे आगे बढ़ा सकें।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी शनिवार को हिमालयन सांस्कृतिक केंद्र, गढ़ी कैंट, देहरादून में फन् संस्था द्वारा आयोजित ‘डेरा कवि सम्मेलन’ को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर प्रख्यात कवि डॉ. कुमार विश्वास सहित अनेक ख्यातिप्राप्त कवि मंच पर उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री ने सभी कवियों का स्वागत करते हुए कहा कि, “कवि केवल शब्दों के सर्जक नहीं होते, वे समाज के चिंतक, मार्गदर्शक और प्रेरक होते हैं। जब समाज संकट या भ्रम की स्थिति में होता है, तब कवियों की लेखनी दिशा दिखाने और समाज को जागरूक करने का कार्य करती है।”

उन्होंने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को भी साहित्यकारों और कवियों की रचनाओं से ऊर्जा मिली। उनकी कविताएं और लेखन आम जनमानस को देशप्रेम और स्वतंत्रता के लिए प्रेरित करने का माध्यम बनीं।

मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की साहित्यिक परंपरा को श्रद्धा पूर्वक स्मरण करते हुए कहा कि यह देवभूमि सदा से रचनात्मकता की भूमि रही है। अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’, सुमित्रानंदन पंत, गिरीश तिवारी ‘गीर्दा’ और नागार्जुन जैसे महान रचनाकारों की कृतियाँ आज भी हमारी वादियों में गूंजती हैं। उन्होंने कहा, “यहाँ हिमालय की ऊँचाइयों से ऊँचे विचार जन्म लेते हैं और नदियों की कल-कल ध्वनि में कविता की लय समाहित होती है।”

इस अवसर पर श्री भरत कुकरेती, श्री मयंक अग्रवाल, श्री आशुतोष, श्री कुशल कुशलेन्द्र, श्री सुदीप भोला, सुश्री कविता तिवारी, श्री रमेश मुस्कान सहित फन् संस्था के प्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी मौजूद रहे।

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