उत्तराखंड में 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: भव्य आयोजन और नई ‘योग नीति’ का शुभारंभ
देहरादून/भराड़ीसैण | 21 जून 2025 उत्तराखंड ने 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को उत्साह, गरिमा और सांस्कृतिक गौरव के साथ पूरे प्रदेश में मनाया। हिमालय की गोद में बसे इस आध्यात्मिक राज्य के हर कोने में योग की दिव्यता और एकात्मता का अनुभव हुआ — फिर चाहे वो भराड़ीसैण की ठंडी हवाएं हों या केदारनाथ की पवित्र भूमि।
मुख्यमंत्री धामी ने भराड़ीसैण में किया योग, जारी की ‘उत्तराखंड योग नीति’
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कर्णप्रयाग के भराड़ीसैण में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जहाँ उन्होंने 800 से अधिक लोगों के साथ सामूहिक योग किया।
इस आयोजन में उन्होंने राज्य की नई योग नीति का अनावरण किया — जो उत्तराखंड को योग और आयुष के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, विधायक अनिल नौटियाल, योग गुरु पद्मश्री स्वामी भारत भूषण, और अनेक देशों के राजनयिक उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री ने स्कूली बच्चों के साथ बातचीत कर योग के प्रति उनके उत्साह की सराहना की।
राष्ट्रपति मुर्मू ने देहरादून में किया सामूहिक योग
राजधानी देहरादून पुलिस लाइन में आयोजित योग सत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की विशेष उपस्थिति ने आयोजन को अभूतपूर्व गरिमा प्रदान की। उनके साथ राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) गुरमीत सिंह और कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने भी योगाभ्यास किया।
इस आयोजन में सैकड़ों प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसमें पुलिस, एनसीसी कैडेट्स, छात्र-छात्राएं और आमजन शामिल रहे।
राष्ट्रपति की मौजूदगी में देहरादून में योग का यह आयोजन प्रेरणादायक और उत्साहवर्धक रहा।
मुख्यमंत्री ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया के माध्यम से संदेश दिया:
“योग भारत की गौरवशाली परंपरा का अमूल्य उपहार है, जो न केवल शरीर को सुदृढ़ करता है बल्कि मन को भी संतुलित करता है। उत्तराखंड की धरती सदियों से योग और अध्यात्म की साधना भूमि रही है, अब इसे हम वैश्विक योग हब बनाएंगे।”
उत्तराखंड: योग और अध्यात्म की अंतरराष्ट्रीय पहचान
उत्तराखंड की सरकार ने हाल के वर्षों में योग, आयुष और वेलनेस टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए कई नीतिगत कदम उठाए हैं। योग नीति-2025 के माध्यम से सरकार का लक्ष्य है:
- योग प्रशिक्षकों को प्रोत्साहन
- अंतरराष्ट्रीय योग केंद्रों की स्थापना
- स्कूल-कॉलेजों में योग को अनिवार्य बनाना
- ग्रामीण क्षेत्रों में योग सत्रों का नियमित आयोजन
- योग आधारित रोजगार और पर्यटन का विस्तार
निष्कर्ष:
11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर उत्तराखंड ने एक बार फिर साबित किया कि वह योग, अध्यात्म और भारतीय संस्कृति का सच्चा प्रतिनिधि है। राष्ट्रपति की उपस्थिति, मुख्यमंत्री की पहल और जनसामान्य की सहभागिता ने इस आयोजन को एक ऐतिहासिक उपलब्धि बना दिया।