देहरादून में नीति आयोग द्वारा आयोजित कार्यशाला में प्रदेश के जल संरक्षण प्रयासों पर विचार-विमर्श करना उत्तराखंड के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। ‘देश के वाटर टॉवर’ के रूप में पहचाने जाने वाले उत्तराखंड में जल संसाधनों का संरक्षण और पुनरुद्धार करना न केवल राज्य बल्कि पूरे देश के लिए एक अनिवार्य कार्य बन चुका है।
स्प्रिंगशेड एंड रिवर रिजुवेनेशन एजेंसी (SARA) का गठन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे जल स्रोतों का संरक्षण और पुनरुद्धार किया जा रहा है। 5500 जमीनी जल स्रोतों और 2292 सहायक नदियों का चिन्हांकन करके उनका संरक्षण कार्य करना प्रदेश में जल प्रबंधन की दिशा में एक ठोस पहल है। इससे न केवल जल स्तर को बनाए रखा जा सकेगा, बल्कि स्थानीय जलवायु परिस्थितियों को भी बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए इस कार्यशाला में जो विचार और समाधान सामने आएंगे, वे न केवल हिमालयी क्षेत्र में जल संरक्षण को बढ़ावा देंगे, बल्कि पूरे क्षेत्र के पर्यावरणीय संतुलन को भी बनाए रखने में मदद करेंगे। सरकार का यह प्रयास इकोलॉजी और इकोनॉमी के बीच संतुलन बनाने की दिशा में सही कदम साबित हो सकता है, और प्रदेश के समग्र विकास में भी अहम योगदान देगा।
उत्तराखंड के लिए यह कार्यशाला एक सुनहरा अवसर है, जिसमें जलवायु अनुकूलन रणनीतियों पर मंथन किया जाएगा, जिससे आने वाले समय में जल संरक्षण के प्रयासों को नई दिशा और गति मिलेगी।