नैनीताल हाईकोर्ट ने कालागढ़ डेम के पास वन और सिंचाई विभाग की भूमि पर रह रहे 213 परिवारों, जिसमें सेवानिवृत्त कर्मचारी भी शामिल हैं, को हटाने के मामले में उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को अगली सुनवाई पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने का आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी। इस पर सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ द्वारा की गई।
मामला जनहित याचिका से जुड़ा है, जिसमें पहले के आदेश के तहत डीएम आशीष चौहान ने अदालत में रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट में बताया गया कि इस क्षेत्र में तीन प्रकार के लोग निवास कर रहे हैं। इनमें कुछ कर्मचारी सक्रिय रूप से कार्यरत हैं, जबकि बाकी सेवानिवृत्त कर्मचारी, उनके परिवार, मजदूर, दुकानदार, ठेकेदार और माल सप्लायर हैं। इन लोगों को विस्थापित करने के लिए उनकी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी जा चुकी है। इसके अतिरिक्त, इस भूमि का कुछ हिस्सा उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन है, इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार से अनुमति प्राप्त करना भी आवश्यक है।
इसके बाद, हाईकोर्ट ने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों को 21 मार्च को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया है।
कालागढ़ जन कल्याण उत्थान समिति ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करते हुए बताया था कि तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने 1960 में कालागढ़ डेम के निर्माण के लिए वन विभाग की कई हजार हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करके सिंचाई विभाग को सौंप दी थी। डेम निर्माण के बाद कई हेक्टेयर भूमि वन विभाग को वापस कर दी गई, लेकिन बाकी बची हुई भूमि पर सेवानिवृत्त कर्मचारियों और अन्य लोगों का कब्जा है। अब राज्य सरकार 213 लोगों को विस्थापित करने की प्रक्रिया में है।