भराड़ीसैंण (गैरसैंण): अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर सांस्कृतिक और आध्यात्मिक सौहार्द का अनुपम संगम
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 की पूर्व संध्या पर भराड़ीसैंण (गैरसैंण) में एक भव्य और ऐतिहासिक आयोजन हुआ, जिसमें विभिन्न देशों के राजदूतों, उच्चायुक्तों और सुप्रसिद्ध योगाचार्य पद्मश्री स्वामी भारत भूषण जी ने भाग लिया। इस अवसर पर सभी अतिथियों को उत्तराखंडी टोपी और प्रतीक चिन्ह भेंट कर परंपरागत सम्मान के साथ देवभूमि उत्तराखंड में स्वागत किया गया।
सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत प्रदर्शन
कार्यक्रम की विशेषता रही उत्तराखंड की समृद्ध लोकसंस्कृति का जीवंत प्रदर्शन।
- नंदा देवी राजजात यात्रा की झलक,
- झोड़ा-छपेली और नाटी जैसे पारंपरिक लोकनृत्य,
इन प्रस्तुतियों ने देश-विदेश से आए अतिथियों को उत्तराखंड की सांस्कृतिक गहराई से अवगत कराया।
राजदूतों व उच्चायुक्तों ने उत्तराखंड की सांस्कृतिक विविधता, अध्यात्म, पारंपरिक जीवनशैली और योग परंपरा की सराहना की। यह आयोजन उत्तराखंड की सांस्कृतिक कूटनीति का उत्कृष्ट उदाहरण बनकर उभरा है।
योग की वैश्विक राजधानी बनने की ओर
कार्यक्रम में यह भी रेखांकित किया गया कि कैसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयासों से वर्ष 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में 177 देशों ने योग दिवस को मान्यता दी। उत्तराखंड, जो न केवल योग की पौराणिक भूमि है बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और प्राकृतिक शुद्धता से भरपूर है, को योग की वैश्विक राजधानी के रूप में विकसित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में डबल इंजन सरकार का यह स्पष्ट उद्देश्य है कि उत्तराखंड को आयुष और योग का वैश्विक केंद्र बनाया जाए — ताकि विश्व भर के साधक यहां आकर मानसिक और शारीरिक शांति प्राप्त कर सकें।