Saturday, September 13, 2025
spot_imgspot_img
HomeUttarakhand Newsगढ़वाल और कुमाऊँ की दो नदियों का पुनर्जीवीकरण करेगी सरकार- मुख्यमंत्री

गढ़वाल और कुमाऊँ की दो नदियों का पुनर्जीवीकरण करेगी सरकार- मुख्यमंत्री

वनाग्नि की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में छोटी-छोटी तलैया बनाई जाए। प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के साथ ही लोगों की आजीविका को बढ़ाने के हों प्रयास। मुख्यमंत्री ने जलागम प्रबन्ध निदेशालय में जलागम की समीक्षा की।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरूवार को जलागम प्रबन्ध निदेशालय इन्द्रानगर में जलागम विभाग की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रारंभिक चरण में राज्य की दो नदियों को चिन्हित कर उनके पुनर्जीवीकरण की दिशा में कार्य किये जाएं। इसमें एक नदी गढ़वाल मण्डल से और एक नदी कुंमाऊ मण्डल से चुनी जाय। वनाग्नि की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में छोटी-छोटी तलैया बनाई जाए, इसमें जन सहयोग भी लिया जाए। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के साथ ही लोगों की आजीविका को बढ़ाने की दिशा में जलागम विभाग द्वारा विशेष ध्यान दिया जाए।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि विभिन्न परियोजनाओं के निर्माण में इसका भी आंकलन किया जाए कि इससे जल स्रोतों पर कोई प्रभाव तो नहीं पड़ रहा है, योजनाओं के निर्माण से प्रभावित होने वाले जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में भी कार्य किये जाएं। जलागम द्वारा संचालित योजनाओं के अन्तर्गत वाइब्रेंट विलेज को भी प्राथमिकता में रखा जाए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि बाह्य सहायतित परियोजनाओं को निर्धारित समयावधि में पूर्ण किया जाए। केन्द्र सरकार से सहायतित योजनाओं को शीर्ष प्राथमिकता में रखा जाए। 90 प्रतिशत केन्द्रांश और 10 प्रतिशत राज्यांश वाली योजनाओं में और तेजी लाने के निर्देश भी उन्होंने दिये। स्प्रिंग एण्ड रिवर रिजुविनेशन प्राधिकरण द्वारा प्राकृतिक जल स्रोतों एवं वर्षा आधारित नदियों के पुनरोद्धार के लिए लघु एवं दीर्घकालिक उपचार की योजनाएं बनाकर उनका मूल्यांकन व अनुश्रवण किये जाने के भी निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये हैं।

मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए वन विभाग के साथ मिलकर उठाये जाएं प्रभावी कदम।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि जलागम विकास परियोजनाओं के नियोजन एवं क्रियान्वयन के लिए सतत जल संसाधन प्रबन्धन, सतत भूमि एवं पारिस्थतिकी प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन न्यूनीकरण और जैव विविधता संरक्षण को ध्यान में रखते हुए कार्य किये जाएं। मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए वन विभाग के साथ मिलकर प्रभावी कदम उठाये जाएं। पारंपरिक उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ ही कृषि योग्य बंजर भूमि में औद्यानिकी एवं कृषि-वानिकी गतिविधियों द्वारा कृषकों की आय में वृद्धि करने के लिए कार्य किये जाएं। जलागम की योजनाओं में महिला सशक्तीकरण के लिए महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाया जाए।

बैठक में जानकारी दी गई कि जलागम विभाग द्वारा उत्तराखण्ड में चयनित सूक्ष्म जलागम क्षेत्रों में पर्वतीय कृषि को लाभदायतक तथा ग्रीन हाऊस गैस न्यूनीकरण के लिए विश्व बैक द्वारा पोषित ‘उत्तराखण्ड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना’ को स्वीकृति मिली है। 1148 करोड़ की धनराशि की यह योजना 2024 से 2030 तक संचालित होगी।

इस परियोजना के तहत स्प्रिंग शेड मैनजमेंट के माध्यम से जल निकासी एवं मृदा अपरदन में कमी लाने, कृषि क्षेत्र में ग्रीन हाऊस गैस को कम करने, बारानी व परती भूमि पर वृक्षारोपण के द्वारा कार्बन की मात्रा में सुधार कर कार्बन फैंसिंग से कृषकों की आय में वृद्धि करने बारानी एवं सिंचित फसलों की उत्पादकता में वृद्धि, उच्च मूल्य फसल उत्पादन के कृषि कलस्टरों की स्थापना एवं एग्री बिजनेस ग्रोथ सेंटर की स्थापना की जायेगी। बैठक में बताया गया कि राज्य के तीन जनपदों पौड़ी, अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-जलागम विकास घटक 2.0 के तहत कार्य हो रहे हैं।

बैठक में जलागम प्रबंधन मंत्री सतपाल महाराज, उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद् विश्वास डाबर, जलागम परिषद के उपाध्यक्ष रमेश गढ़िया, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर. के सुधांशु, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, अपर सचिव नमामि बंसल, परियोजना निदेशक जलागम नीना ग्रेवाल एवं जलागम विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_imgspot_imgspot_imgspot_img

Most Popular

Recent Comments