धामी सरकार ने तीन साल में गढ़ी “विकसित उत्तराखंड” की नींव
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने तीन वर्ष पूरे कर लिए हैं। ये तीन साल केवल राजनीतिक स्थिरता के नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता, आर्थिक मजबूती और विकास की दृष्टि से ऐतिहासिक साबित हुए हैं। इन तीन वर्षों में सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता और दूरदृष्टि से उन निर्णयों को अमलीजामा पहनाया, जिनका उत्तराखंड के लोगों ने दशकों तक स्वप्न देखा था।
मुख्यमंत्री धामी ने उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान, मूल भावनाओं और जनसरोकारों को सर्वोपरि रखते हुए निर्णायक फैसले लिए हैं। वर्षों से प्रतीक्षित समान नागरिक संहिता और सख्त भू-कानून को लागू कर उन्होंने प्रदेश की आकांक्षाओं को नई उड़ान दी है। दंगारोधी कानून, धर्मांतरण विरोधी कानून और लैंड जिहाद पर सख्त कार्रवाई कर उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि उत्तराखंड में सामाजिक समरसता और आस्था से खिलवाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह केवल कानूनी फैसले नहीं, बल्कि एक नई नीति दृष्टि का संकेत हैं, जो उत्तराखंड को देशभर में एक आदर्श राज्य के रूप में स्थापित कर रहे हैं।
राज्य की प्रगति के प्रमाण आंकड़ों में भी झलकते हैं। सतत विकास लक्ष्य (SDG) सूचकांक में उत्तराखंड ने अपनी स्थिति को और मजबूत किया है, जो यह दर्शाता है कि यह प्रदेश आर्थिक रूप से और अधिक सक्षम हुआ है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य का राजकोषीय घाटा तेजी से कम हुआ है और अब वह जितना ऋण ले रहा है, उससे अधिक चुकाने की स्थिति में है। इससे वित्तीय अनुशासन और सरकार की आर्थिक प्रबंधन क्षमता का स्पष्ट संकेत मिलता है।
चारधाम यात्रा ने बीते तीन वर्षों में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। हर वर्ष रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को न केवल संजीवनी मिली है, बल्कि पर्यटन आधारित आजीविका भी पुष्ट हुई है। मुख्यमंत्री धामी ने पर्यटन को और अधिक समावेशी बनाने के लिए शीतकालीन यात्रा की पहल की, जिससे प्रदेश की आर्थिकी को नया आधार मिलेगा। उत्तराखंड अब केवल आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि सतत पर्यटन और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का आदर्श उदाहरण भी बन रहा है।
आपदा प्रबंधन के मोर्चे पर भी सरकार की तत्परता और प्रभावी निर्णय क्षमता देखने को मिली। सिल्क्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन, केदारघाटी में आई आपदा या चमोली में हुए हिमस्खलन के दौरान सरकार ने जिस कुशलता से राहत एवं बचाव कार्यों का संचालन किया, उसने यह साबित किया कि उत्तराखंड अब केवल आपदाओं से जूझने वाला राज्य नहीं, बल्कि उनका पूर्वानुमान और प्रबंधन करने वाला राज्य बन चुका है।
रोजगार के क्षेत्र में उत्तराखंड ने ऐतिहासिक प्रगति दर्ज की है। सरकारी भर्तियों के माध्यम से 20,000 से अधिक पद भरे गए और बेरोजगारी दर में 4.4% की कमी दर्ज की गई, जो राष्ट्रीय औसत से भी बेहतर है। ‘होम स्टे’ योजना के माध्यम से हजारों युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिला है, जिससे पलायन की समस्या पर प्रभावी रोक लगी है। अब उत्तराखंड के गांव फिर से आबाद हो रहे हैं, और लोग अपने ही प्रदेश में आर्थिक अवसर तलाश रहे हैं।
महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और उद्यमशीलता के मोर्चे पर भी सरकार ने ठोस पहल की है। जी-20 की तीन सफल बैठकों का आयोजन, 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी, अंतरराष्ट्रीय प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन, विश्व आयुर्वेद कांग्रेस और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट जैसे आयोजनों ने यह साबित कर दिया है कि उत्तराखंड अपनी वैश्विक पहचान को नए सिरे से गढ़ने में सफल हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी तक, सभी ने धामी सरकार की कार्यशैली की सराहना की है। यह इंगित करता है कि उत्तराखंड राष्ट्रीय परिदृश्य में अपनी मजबूत पहचान बना चुका है।
उत्तराखंड की संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने के लिए भी सरकार ने विशेष प्रयास किए हैं। स्थानीय त्योहारों और मेलों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे न केवल पर्यटन को नई दिशा मिली है, बल्कि पारंपरिक लोक कलाओं और हस्तशिल्प को भी वैश्विक पहचान मिल रही है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड ने खुद को एक स्थिर, सशक्त और समावेशी राज्य के रूप में स्थापित किया है। उनकी नीतिगत पारदर्शिता, योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन और दूरदर्शी दृष्टि ने प्रदेश को विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। उत्तराखंड अब केवल ‘देवभूमि’ नहीं, बल्कि ‘विकसित उत्तराखंड’ के रूप में अपनी पहचान मजबूत कर रहा है। यह तीन साल केवल उपलब्धियों के नहीं रहे, बल्कि भविष्य के प्रति एक नए विश्वास का संचार करने वाले भी रहे हैं। आने वाले वर्षों में उत्तराखंड विकास और सशक्तिकरण के नए प्रतिमान स्थापित करेगा, यह विश्वास अब और भी दृढ़ हो चुका है।