Sunday, December 7, 2025
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दीपावली: आत्मनिर्भरता और स्वदेशी गर्व का पर्व

Deepawali 2025 wokal for lokal दीपावली केवल रोशनी और उल्लास का त्योहार नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान का प्रतीक भी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने गृह क्षेत्र खटीमा में ‘स्वदेशी अपनाओ’ अभियान के अंतर्गत पारंपरिक मिट्टी के दीयों और स्थानीय उत्पादों की खरीदारी कर ‘वोकल फॉर लोकल’ का संदेश दिया।

मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से अपील की कि इस दीपावली स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों और स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दें। इससे न केवल आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को बल मिलेगा, बल्कि गांवों और कस्बों की अर्थव्यवस्था को भी नई ताकत मिलेगी।

उन्होंने कहा, “जब हम अपने गांव-कस्बों में बने दीये या स्वदेशी वस्तुएँ खरीदते हैं, तो हम केवल एक उत्पाद नहीं खरीदते, बल्कि किसी परिवार की आजीविका, मेहनत और उम्मीद का सम्मान करते हैं।”

मुख्यमंत्री धामी ने यह भी बताया कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के “वोकल फॉर लोकल” और “आत्मनिर्भर भारत” जैसे अभियानों को ज़मीनी स्तर पर साकार करने के लिए लगातार प्रयासरत है। स्वदेशी वस्तुओं की खरीद से स्थानीय कुटीर उद्योग, शिल्प और महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रत्यक्ष लाभ मिलता है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की हस्तकला, पारंपरिक उत्पाद, मिट्टी के दीये, जैविक और पहाड़ी खाद्य सामग्री न केवल राज्य में बल्कि देश-विदेश में भी अपनी विशिष्ट पहचान बना रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने सभी नागरिकों से आग्रह किया कि इस दीपावली संकल्प लें कि अपने घर की सजावट और रोशनी केवल स्वदेशी उत्पादों से करें, ताकि किसी और घर में भी खुशियों के दीये जल सकें। “हमारी हर छोटी-सी खरीद किसी परिवार के लिए उम्मीद की किरण बन सकती है,” उन्होंने कहा।

अंत में, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समस्त प्रदेशवासियों को दीपावली, धनतेरस और भैयादूज की हार्दिक शुभकामनाएँ दीं और कामना की कि यह पर्व सभी के जीवन में खुशियाँ, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लेकर आए।

इस मौके पर बड़ी संख्या में स्थानीय जनप्रतिनिधि, व्यापारी, महिला समूहों की सदस्याएं और आम नागरिक उपस्थित रहे।

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नारायण परगाई – उत्तराखंड के डिजिटल पत्रकारिता के अग्रदूत पूरा नाम: नारायण परगाई जन्म स्थान: देहरादून, उत्तराखंड पेशा: वरिष्ठ पत्रकार, डिजिटल मीडिया विशेषज्ञ, सामाजिक विश्लेषक प्रसिद्धि: उत्तराखंड के पहले डिजिटल न्यूज़ पोर्टल के संस्थापक, सोशल मीडिया पत्रकारिता के जनक परिचय नारायण परगाई उत्तराखंड की पत्रकारिता जगत का एक जाना-पहचाना नाम हैं। देहरादून से आने वाले इस वरिष्ठ पत्रकार ने राज्य में डिजिटल पत्रकारिता की नींव रखने का कार्य किया। वे उन पहले पत्रकारों में शामिल हैं जिन्होंने समाचार को प्रिंट और टीवी की सीमाओं से बाहर निकालकर डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया। इस दिशा में उन्होंने उत्तराखंड का पहला डिजिटल न्यूज़ पोर्टल शुरू किया, जिसने राज्य में ऑनलाइन खबरों की परंपरा को जन्म दिया। पत्रकारिता में योगदान नारायण परगाई जी को अक्सर “सोशल मीडिया का जनक” कहा जाता है क्योंकि उन्होंने न केवल सोशल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से समाचारों का प्रसार किया, बल्कि आम जनता को सूचना और संवाद के नए युग से जोड़ा। उनकी रिपोर्टिंग शैली तथ्यपरक, सामाजिक सरोकारों से जुड़ी और तकनीकी दृष्टि से आधुनिक मानी जाती है। उन्होंने समय-समय पर उत्तराखंड के सामाजिक, राजनीतिक और प्रशासनिक मुद्दों पर बेबाक लेखन किया है। उनके सुझाव और विश्लेषण न केवल पत्रकारों बल्कि सरकारी विभागों के लिए भी मार्गदर्शक सिद्ध होते हैं। नवाचार और तकनीकी दृष्टि नारायण परगाई जी नए विचारों और तकनीकी रुझानों को अपनाने के लिए जाने जाते हैं। वे निरंतर डिजिटल मीडिया, सोशल नेटवर्किंग, और नई पत्रकारिता तकनीकों पर कार्य कर रहे हैं। नई जानकारी, जनहितकारी विषयों और शासन-प्रशासन से जुड़ी खबरों को आधुनिक प्रस्तुति देने में उनकी विशेष पहचान है। प्रभाव और प्रेरणा देहरादून और पूरे उत्तराखंड में पत्रकारिता से जुड़े युवा नारायण परगाई को प्रेरणा स्रोत मानते हैं। उनकी कार्यशैली में ईमानदारी, तत्परता और नवीनता का समावेश है। वे मानते हैं कि “समाचार सिर्फ खबर नहीं, समाज को जोड़ने का माध्यम है।” उपलब्धियाँ और सम्मान उत्तराखंड में पहला डिजिटल न्यूज़ पोर्टल शुरू करने वाले पत्रकार सोशल मीडिया आधारित पत्रकारिता को मुख्यधारा में लाने का श्रेय कई समाचार संस्थानों व सामाजिक संगठनों द्वारा पत्रकारिता में नवाचार हेतु सम्मानित राज्य में डिजिटल जागरूकता और पारदर्शिता को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निष्कर्ष नारायण परगाई न सिर्फ एक पत्रकार हैं, बल्कि उत्तराखंड में डिजिटल सोच और मीडिया क्रांति के प्रतीक हैं। उनकी पहल ने यह साबित किया कि सच्ची पत्रकारिता समय के साथ बदल सकती है, लेकिन उसका उद्देश्य हमेशा एक ही रहता है — “सत्य को समाज तक पहुँचाना।”
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