छात्र नेता से पार्षद और पार्षद से विधायक बनने के बाद दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री बनने वाली रेखा गुप्ता के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं, जो उन्हें अपनी कार्यशैली से पार करनी होंगी। इन चुनौतियों का सामना उन्हें भीतर और बाहर, दोनों ही जगह करना होगा। उनकी सबसे पहली चुनौती उन उम्मीदों को पूरा करना है, जो दिल्ली की जनता और भाजपा ने उनसे रखी हैं।
रेखा गुप्ता को उन तमाम वादों को पूरा करना होगा, जो चुनाव के दौरान भाजपा द्वारा जारी तीन किश्तों वाले चुनाव घोषणा पत्र में किए गए थे। इनमें यमुना की सफाई, स्वच्छ पेयजल, प्रदूषण मुक्त हवा, दिल्ली को 50 हजार नई नौकरियों का सृजन, महिलाओं को प्रति माह 2500 रुपये, मुफ्त बस यात्रा, नालों-गलियों की सफाई, सड़कों की मरम्मत, ट्रैफिक जाम से निजात और आम आदमी पार्टी द्वारा लागू की गई मुफ्त बिजली-पानी जैसी योजनाओं को जारी रखना शामिल हैं। इन वादों को लागू करना रेखा गुप्ता के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी होगी, क्योंकि भाजपा ने अपने घोषणा पत्र को “संकल्प पत्र” के रूप में पेश किया था, और यह जनता की उम्मीदों का भी हिस्सा है।

चार साल बाद महिला मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता को शीला दीक्षित, सुषमा स्वराज और आतिशी के कामकाज से तुलना का सामना करना होगा। विशेषकर शीला दीक्षित, जिन्होंने 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहते हुए राजधानी की सूरत बदल दी, उनकी कार्यशैली से रेखा की सरकार का कामकाज तुलना में आएगा। इसके अलावा, रेखा को उपराज्यपाल और केंद्र सरकार के साथ तालमेल बनाकर यह साबित करना होगा कि वह कठपुतली मुख्यमंत्री नहीं हैं। इसके लिए उन्हें शीला और सुषमा के उदाहरणों से मार्गदर्शन लेना होगा।
विपक्ष, खासकर आम आदमी पार्टी (आप), के आक्रामक विरोध से निपटना भी रेखा गुप्ता के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। 22 विधायकों और 43 फीसदी वोट प्रतिशत वाली आप विधानसभा के भीतर और बाहर लगातार सरकार का विरोध करेगी। हालांकि, कांग्रेस, जो महज छह फीसदी वोट के साथ शून्य विधायक है, कमजोर स्थिति में है, फिर भी वह हमले करती रहेगी। इसके अलावा, पार्टी के भीतर कुछ ऐसे नेता भी हो सकते हैं जिनकी नजर सीएम की कुर्सी पर हो, और उनके भीतरघात से भी रेखा को सतर्क रहना होगा।
हालांकि, भाजपा के मौजूदा नेतृत्व में भीतरघात पहले के मुकाबले उतना असरदार नहीं रहा है, फिर भी कुछ भाजपा नेता मुख्यमंत्री को विफल होते देखना चाहेंगे, और रेखा को ऐसे नेताओं पर भी नजर रखनी होगी। अंत में, एक और बड़ी चुनौती नौकरशाही पर सार्थक नियंत्रण और उसे जनोन्मुखी बनाना होगी। इसके साथ ही दिल्ली के सभी वर्गों, समूहों और क्षेत्रों में संतुलित विकास सुनिश्चित करना होगा। दिल्ली, जो देश की राजधानी है और केंद्र सरकार के सीधे नियंत्रण में है, में रेखा गुप्ता के हर कदम पर मीडिया की निगाह रहेगी, इसलिए उन्हें सावधानी से कदम उठाने होंगे।
