मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘हिमालय निनाद उत्सव-2025’ में हिस्सा लिया और कलाकारों की मासिक पेंशन दोगुनी करके ₹6000 की। साथ ही, संस्कृति के संरक्षण हेतु 3 अन्य बड़ी घोषणाएं कीं।
देहरादून। उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर हिमालयन संस्कृति केंद्र, गढ़ी कैंट देहरादून में आयोजित “हिमालय निनाद उत्सव- 2025” में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिभाग किया। इस दौरान उन्होंने न केवल कलाकारों का उत्साहवर्धन किया, बल्कि संस्कृति के उत्थान और कलाकारों के हितों में चार महत्वपूर्ण घोषणाएं कर उन्हें बड़ी राहत दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उत्सव मात्र एक सांस्कृतिक समारोह नहीं, बल्कि हिमालय की साझा चेतना और विविध परंपराओं का उत्सव है।
कलाकारों को पेंशन का बड़ा तोहफा
मुख्यमंत्री की सबसे महत्वपूर्ण घोषणा वृद्ध और खराब स्वास्थ्य से जूझ रहे कलाकारों व लेखकों से संबंधित है। उन्होंने घोषणा की कि जिन्होंने अपना पूरा जीवन कला एवं साहित्य की आराधना में लगा दिया, उनके लिए देय मासिक पेंशन ₹3000 से बढ़ाकर ₹6000 प्रतिमाह की जाएगी। यह वृद्धि उन आर्थिक रूप से कमजोर कलाकारों के लिए एक बड़ा सहारा बनेगी जो वृद्धावस्था के कारण जीविकोपार्जन में असमर्थ हो गए हैं। यह कदम राज्य के कलाकार कल्याण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है।
- मानदेय और अवसंरचना पर ज़ोर
मुख्यमंत्री ने अन्य तीन बड़ी घोषणाएं भी कीं:
- मानदेय में समानता: संस्कृति विभाग में सूचीबद्ध सांस्कृतिक दलों के कलाकारों का मानदेय अब भारत सरकार के उपक्रम, नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर की तर्ज पर दिया जाएगा, जिससे उन्हें बेहतर पारिश्रमिक मिल सकेगा।
- प्रेक्षागृहों का निर्माण: राज्य के समस्त जनपद स्तर पर प्रेक्षागृह (Auditorium) का निर्माण किया जाएगा, जिससे कलाकारों को अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए मंच उपलब्ध हो सके।
- सांस्कृतिक संग्रहालय: सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण व प्रदर्शन के लिए प्रदेश में एक राज्य स्तरीय संग्रहालय, तथा गढ़वाल व कुमाऊं मंडल में एक-एक मंडल स्तरीय संग्रहालय का निर्माण किया जाएगा।
सांस्कृतिक संगम और आत्ममंथन का अवसर
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर यह समय केवल उत्सव का नहीं, बल्कि आत्ममंथन और नए संकल्प का भी है। निनाद महोत्सव-2025 में तिब्बत, अरुणाचल, मणिपुर, हिमाचल, असम और लद्दाख सहित पूरे हिमालय क्षेत्र की विविध संस्कृतियों को एक मंच पर लाया गया। उन्होंने राज्य निर्माण के लिए संघर्ष करने वाली महान आत्माओं को नमन किया और कहा कि उनकी स्मृति हमें यह राज्य कितनी कठिनाइयों और बलिदानों से मिला है, इसकी याद दिलाती है। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद सोनल मानसिंह, नरेश बंसल और संस्कृति सचिव युगल किशोर पंत सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।



