Saturday, December 13, 2025
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मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड महक क्रांति नीति-2026-36 का शुभारम्भ

लगभग 23 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सुगंधित फसलों की होगी खेती
आगामी सालों में करीब 1 लाख किसानों को जोड़ने का है लक्ष्य

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को सगंध पौधा केन्द्र, सेलाकुई, देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए उत्तराखण्ड महक क्रांति नीति-2026-36 का शुभारम्भ किया। उन्होंने सेटेलाइट सेन्टर भाऊवाला का लोकार्पण एवं सगंध पौधा केन्द्र, सेलाकुई स्थित ए.एम.एस (C-14) प्रयोगशाला का भी शिलान्यास किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कुल 5 सेटेलाइट सेन्टरों का भी शिलान्यास किया। यह सेटेलाइट सेंटर — परसारी (चमोली), रैथल (उत्तरकाशी), भैसोड़ी (अल्मोड़ा), खतेड़ा (चंपावत) एवं विषाड (पिथौरागढ़) — में स्थापित किये जाएंगे।

कार्यक्रम के दौरान सुगंध पौधा केन्द्र और डाबर इंडिया लिमिटेड के बीच एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर भी किये गये। इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य विस्तार (एक्सटेंशन), अनुसंधान एवं विकास, मानव संसाधन विकास, मार्केटिंग आदि के क्षेत्र में CAP और डाबर के बीच सहयोग के लिए एक रूपरेखा तैयार करना है। एम.ओ.यू. के दौरान CAP की ओर से निदेशक श्री नृपेन्द्र सिंह चौहान एवं डाबर की अधिशासी निदेशक डा. सौरभ लाल उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री ने CAP के फाउंडर वैज्ञानिकों एवं लेमनग्रास–तुलसी की खेती करने वाले किसानों को भी सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने परफ्यूमरी प्रयोगशाला का भी भ्रमण किया। मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड महक क्रांति नीति के शुभारम्भ को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इस नीति के अंतर्गत 7 एरोमा वैलियों को विकसित करने की शुरुआत होगी। प्रथम चरण में:

  • पिथौरागढ़ में तिमूर वैली,

  • चमोली एवं अल्मोड़ा में डैमस्क रोज वैली,

  • ऊधमसिंह नगर में मिन्ट वैली,

  • चंपावत और नैनीताल में सिनेमन वैली,

  • हरिद्वार और पौड़ी में लेमनग्रास एवं मिन्ट वैली विकसित की जाएगी।

उन्होंने कहा कि नीति के अंतर्गत राज्य में लगभग 23 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सुगंधित फसलों की खेती को विकसित कर करीब 1 लाख किसानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। आगामी दस वर्षों में राज्य में सुगंधित फसलों की खेती के टर्नओवर को 100 करोड़ रुपये से बढ़ाकर लगभग ₹1200 करोड़ तक पहुंचाने में सफलता मिलेगी, जिससे किसानों के साथ राज्य की आय में अभूतपूर्व वृद्धि होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार प्रदेश के किसानों के उत्थान एवं समृद्धि हेतु संकल्पित होकर निरंतर कार्य कर रही है। प्रदेश में किसानों को ₹3 लाख तक का ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जा रहा है। कृषि उपकरण खरीदने के लिए फार्म मशीनरी बैंक योजना के माध्यम से 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी प्रदान की जा रही है। राज्य में गेहूं खरीद पर किसानों को ₹20 प्रति क्विंटल बोनस, तथा गन्ने के रेट में ₹30 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। किसानों के हित में नहरों से सिंचाई मुफ्त भी की जा रही है।

उन्होंने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए पॉलीहाउस निर्माण हेतु ₹200 करोड़ की राशि का प्रावधान किया गया है। किसमें लगभग 115 करोड़ की सहायता से 350 पॉलीहाउस स्थापित किये जा चुके हैं। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षा आधारित खेती को सहायता देने के लिए लगभग ₹1000 करोड़ की लागत से उत्तराखंड क्लाइमेट रिस्पॉन्सिव रेन-फेड फार्मिंग प्रोजेक्ट स्वीकृत किया गया है। राज्य में सब्जियों के समान फलों के उत्पादन को भी बढ़ाने के लिए विभिन्न स्तरों पर काम चल रहा है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ₹1200 करोड़ की लागत से नई सेब नीति, कीवी नीति, स्टेट मिलेट मिशन, और ड्रैगन फ्रूट नीति जैसी नीतियाँ लागू की हैं, जिनके तहत किसानों को 80 प्रतिशत तक सब्सिडी मिल रही है। सुगंध उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिए काशीपुर में 40 एकड़ में एरोमा एवं परफ्यूमरी उद्योगों का विकास हेतु ₹300 करोड़ का एरोमा पार्क भी स्थापित किया जा रहा है। “हाउस ऑफ हिमालयाज” के माध्यम से सुगंध तेलों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने का प्रयास भी जारी है। धौलादेवी, मुन्स्यारी और बेतालघाट के चाय बागानों को जैविक चाय बागान के रूप में परिवर्तित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मिलेट उत्पादन में निवेश पर 80 प्रतिशत तक का अनुदान दे रही है। पंक्ति बुआई पर ₹4000 प्रति हेक्टेयर और अन्य विधियों पर ₹2000 प्रति हेक्टेयर प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके साथ ही, मिलेट उत्पाद की खरीद पर ₹300 प्रति क्विंटल अतिरिक्त प्रोत्साहन भी प्रदान किया जाएगा। ये प्रयास किसानों की आय बढ़ाने में फलदायी साबित हो रहे हैं; परिणामतः राज्य ने देशभर में किसानों की आय वृद्धि में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड हर क्षेत्र में नंबर-वन बन रहा है। राज्य सरकार द्वारा लिए गए निर्णय देश के लिए नजीर बन रहे हैं, जैसे ईज-ऑफ-डूइंग-बिजनेस, सतत् विकास सूची में प्रथम स्थान, समान नागरिक संहिता लागू करना, तथा मदरसा एक्ट का समाप्त करना। उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के प्रयास भी जारी हैं। स्वयं सहायता समूह के उत्पादों को उपहारों के रूप में दिया जा रहा है और सरकारी कार्यक्रमों में इन्हें खरीदने को कहा गया है।

कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि उत्तराखंड में एरोमा क्षेत्र में अपार संभावनाएँ हैं और आने वाले समय में प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि, बागवानी और CAP की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2003 में जहाँ इस क्षेत्र का टर्नओवर मात्र ₹1 करोड़ था, वहीं आज यह ₹100 करोड़ से अधिक हो गया है।

समारोह में विधायक सहदेव पुंडीर, उपाध्यक्ष जड़ी बूटी सलाहकार समिति भुवन विक्रम डबराल, जिला अध्यक्ष भाजपा मीता सिंह, गिरीश डोभाल, सचिव श्री सुरेंद्र नारायण पांडे, एसेंशियल ऑयल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सचिव पी.के. जैन, अध्यक्ष नगर पंचायत सुमित चौधरी एवं अन्य लोग मौजूद रहे।

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