देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सख्त निर्देशों और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार ने बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए राज्यभर में औषधि विभाग का व्यापक अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत अब तक 350 से अधिक कफ सिरप के नमूने जांच के लिए लिए जा चुके हैं, जबकि एक दर्जन से अधिक मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए हैं। कई अन्य विक्रेताओं को कड़ी चेतावनी दी गई है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट संदेश दिया है कि “हमारा लक्ष्य है कि उत्तराखंड में ऐसा कोई सिरप न बिके, जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बने। यह सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा है।”
राज्यभर में औचक निरीक्षण अभियान तेज
मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के निर्देशों पर प्रदेश के सभी जिलों में औषधि निरीक्षकों की टीमें सक्रिय हैं। मेडिकल स्टोर्स, होलसेल डिपो, फार्मा इंडस्ट्री और बच्चों के अस्पतालों पर लगातार छापेमारी की जा रही है।
स्वास्थ्य सचिव एवं खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FDA) आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार प्रतिदिन अभियान की प्रगति की समीक्षा कर रहे हैं, जबकि अपर आयुक्त (एफडीए) ताजबर सिंह जग्गी के निर्देशन में यह अभियान चरणबद्ध रूप से जारी है।
देहरादून में बड़े स्तर पर कार्रवाई
औषधि निरीक्षक मानेंद्र सिंह राणा के नेतृत्व में पलटन बाजार, घंटाघर, ऋषिकेश रोड, जॉलीग्रांट, अजबपुर और नेहरू कॉलोनी क्षेत्रों में मेडिकल स्टोर्स पर औचक निरीक्षण किए गए।
बच्चों की सर्दी-खांसी की कुछ दवाएँ अलग से भंडारित पाई गईं, जिन्हें मौके पर ही सील कर बिक्री पर रोक लगा दी गई।
एक मेडिकल स्टोर को बंद किया गया और 11 औषधियों के नमूने जांच हेतु लिए गए। निरीक्षण के दौरान SYP. Coldrif, SYP. Respifresh-TR और SYP. Relife जैसी प्रतिबंधित दवाएँ स्टोर्स पर नहीं मिलीं।
ऋषिकेश, हल्द्वानी, अल्मोड़ा और बागेश्वर में भी छापेमारी
- ऋषिकेश: औषधि निरीक्षक निधि रतूड़ी की टीम ने राजकीय एसपीएस चिकित्सालय और जॉलीग्रांट क्षेत्र में निरीक्षण किया। जहाँ बच्चों के सिरप अलग से भंडारित पाए गए, उन्हें सील कर दिया गया।
- हल्द्वानी: मुखानी क्षेत्र में सात मेडिकल स्टोर्स की जांच की गई, जिनमें से दो से कफ सिरप के नमूने लिए गए।
- अल्मोड़ा और बागेश्वर: औषधि निरीक्षकों ने औचक जांच के दौरान तीन सिरप के नमूने परीक्षण के लिए एकत्र किए।
मुख्यमंत्री धामी का स्पष्ट संदेश — “बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि”
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार बच्चों की सेहत के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगी।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि “प्रत्येक मेडिकल स्टोर, अस्पताल और फार्मा यूनिट की जांच सुनिश्चित की जाए। बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने वालों पर कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।”
स्वास्थ्य मंत्री की अपील — “डॉक्टर और फार्मासिस्ट जिम्मेदारी निभाएं”
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बाल चिकित्सकों से अपील की कि वे दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी स्थिति में प्रतिबंधित सिरप न लिखें।
उन्होंने कहा कि “डॉक्टर और फार्मासिस्ट दोनों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों की सेहत को सर्वोपरि रखें।”
स्वास्थ्य सचिव की चेतावनी — “लापरवाही बर्दाश्त नहीं”
FDA आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा कि बच्चों की सेहत से खिलवाड़ किसी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है।
उन्होंने बताया कि “हर जिले की टीम से प्रतिदिन रिपोर्ट ली जा रही है और जहाँ भी लापरवाही पाई जाएगी, वहाँ लाइसेंस निरस्तीकरण सहित कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
अभियान जारी रहेगा जब तक असुरक्षित दवाइयाँ पूरी तरह समाप्त नहीं
अपर आयुक्त (एफडीए) ताजबर सिंह जग्गी ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता स्पष्ट है— राज्य के नागरिकों, विशेषकर बच्चों को केवल सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण औषधियाँ ही मिलें।
उन्होंने कहा कि यह अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक प्रदेश से असुरक्षित औषधियों का पूर्ण उन्मूलन नहीं हो जाता।