चार धाम यात्रा में रील पर रोक, बैकफुट पर नहीं जाएगी सरकार: धामी का बड़ा बयान देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने फैसलों से लगातार चर्चा में बने रहते हैं। राज्य में उनके निर्णय विपक्ष से लेकर अन्य सभी दलों द्वारा सराहे गए हैं, यही कारण है कि वह राज्य में अपनी धमक के साथ फैसले लेते हैं और बैकफुट पर आने का सवाल नहीं उठता। ताजा मामला मुख्यमंत्री धामी का बयान है जिसमें उन्होंने कहा कि चार धाम यात्रा की परंपराओं को मानना होगा और रील पर रोक के मामले पर भी स्पष्ट रुख अपनाया है।
सीएम धामी ने कहा कि तीर्थाटन और पर्यटन में अंतर है, और इसलिए चार धाम यात्रा की परंपराओं का पालन करना आवश्यक है। लिव-इन रिलेशनशिप के विषय पर उन्होंने कहा कि इस पर सरकार पीछे नहीं हटेगी, हाला
लिव-इन रिलेशनशिप पर नहीं होगी ढील
राज्य में लागू समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत लिव-इन रिलेशनशिप के विरोध पर मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उनकी सरकार इस पर पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने कहा, “हमने 2022 के चुनाव में वादा किया था कि भाजपा सरकार बनने पर राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करेंगे, और हम उस वादे को पूरा कर चुके हैं।”
धामी ने यह भी स्पष्ट किया कि लिव-इन रिलेशनशिप हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं है, लेकिन यह विषय कई बार उच्चतम न्यायालय में भी उठ चुका है। उन्होंने यह कहा कि यदि इस पर कोई सुझाव आता है तो उनका स्वागत किया जाएगा, लेकिन सरकार इस मुद्दे पर पीछे नहीं हटेगी।
चारधाम यात्रा में रील कल्चर पर रोक
चारधाम यात्रा के दौरान रील कल्चर पर रोक से जुड़े सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि तीर्थाटन और पर्यटन के बीच अंतर को समझना होगा। उन्होंने कहा, “चारधाम यात्रा को विशुद्ध रूप से यात्रा होना चाहिए, और यह धार्मिक उद्देश्य के लिए है।” उन्होंने यह भी कहा कि पुराने रील चलाने से देश और दुनिया में गलत संदेश जाता है।
धामी का ‘इकोलॉजी और इकॉनमी’ मॉडल
सीएम धामी ने केदारनाथ में पीएम मोदी के नेतृत्व में हुए पुनर्निर्माण कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां इकोलॉजी का पूरा ध्यान रखा गया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का विकास मॉडल ‘इकोलॉजी और इकॉनमी का संतुलन’ है। धामी ने यह भी बताया कि चारधाम यात्रा के आसपास के क्षेत्रों में भीड़ के दबाव को नियंत्रित करने के लिए नए स्थान विकसित किए जा रहे हैं।
आपदाओं का सामना करना सबसे बड़ी चुनौती
मुख्यमंत्री धामी ने राज्य की सबसे बड़ी चुनौती के रूप में आपदाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में बादल फटना, भूस्खलन और हिमस्खलन जैसी घटनाएं अक्सर होती हैं, और इनसे निपटना सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य है। उन्होंने सिलक्यारा टनल हादसे का भी जिक्र किया और कहा कि पीएम मोदी के मार्गदर्शन में इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
अतिक्रमण और कानून के पालन पर जोर
मुख्यमंत्री ने राज्य में अतिक्रमण को लेकर अपने सरकार के दृष्टिकोण को स्पष्ट किया और कहा कि अतिक्रमण हटाने का अभियान लगातार जारी रहेगा। उन्होंने कहा, “हम कानून पर चलने वाले लोग हैं और अतिक्रमण को किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा।”
वक्फ कानून और देवभूमि की पवित्रता
धामी ने राज्य में वक्फ कानून लागू करने का भी संकेत दिया और कहा कि राज्य की सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखना और डेमोग्राफी में बदलाव को रोकना उनके प्रमुख उद्देश्यों में से एक है। इसके लिए उन्होंने सत्यापन अभियान चलाया और अन्य सख्त कानूनों को लागू किया है।
पीएम मोदी के साथ काम करने का अनुभव
अंत में, मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम करने के अपने अनुभव को साझा किया। उन्होंने प्रधानमंत्री को आधुनिक भारत का शिल्पकार बताते हुए कहा कि पीएम हर छोटी बात पर ध्यान देते हैं और सामान्य लोगों की चिंता करते हैं।
सारांश में, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में विभिन्न मुद्दों पर अपने स्पष्ट और सख्त रुख को पेश किया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार हर निर्णय में कानून का पालन करती है और जनता के हित में फैसले ले रही है, चाहे वह चारधाम यात्रा की परंपराओं का पालन हो, समान नागरिक संहिता हो या अतिक्रमण हटाने का अभियान।