Thursday, October 23, 2025
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बिहार चुनाव 2025: ओपिनियन पोल में NDA और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर

बिहार चुनाव 2025: ओपिनियन पोल में NDA और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। हाल ही में जारी हुए शुरुआती ओपिनियन पोल में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन के बीच करीबी मुकाबला देखने को मिल रहा है। जनता का मूड फिलहाल स्पष्ट नहीं है, और मतदाता दोनों पक्षों को बराबरी की टक्कर दे रहे हैं।

क्या कहता है ओपिनियन पोल?

ओपिनियन पोल के शुरुआती रुझानों के अनुसार:

  • NDA को लगभग 42% वोट शेयर मिलने का अनुमान है।
  • वहीं, महागठबंधन (जिसमें RJD, कांग्रेस, और वाम दल शामिल हैं) को 41-42% वोट शेयर मिलने की संभावना जताई जा रही है।
  • अन्य पार्टियों और निर्दलीयों को 16-17% वोट मिलने की संभावना है।

इस आंकड़े से यह साफ हो रहा है कि मुकाबला बेहद रोमांचक और नजदीकी हो सकता है। सीटों का गणित छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के प्रदर्शन पर भी निर्भर करेगा।

मुख्य चेहरे और मुद्दे

  • NDA की ओर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर से चेहरा बने रहेंगे, हालांकि BJP की भूमिका भी इस बार ज्यादा निर्णायक मानी जा रही है।
  • महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव को चुनौती देने वाला प्रमुख चेहरा माना जा रहा है, जो रोजगार और शिक्षा को चुनावी मुद्दा बना रहे हैं।
  • जनता के बीच मुख्य मुद्दों में बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और कानून-व्यवस्था सबसे ऊपर हैं।

छोटे दल बन सकते हैं किंगमेकर

ओवैसी की AIMIM, चिराग पासवान की LJP (रामविलास), उपेन्द्र कुशवाहा की RLM जैसी पार्टियाँ सीमित सीटों पर लड़कर NDA या महागठबंधन की किस्मत को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसे में ये दल संभावित किंगमेकर की भूमिका में आ सकते हैं।

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक?

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मौजूदा रुझान बरकरार रहते हैं तो बिहार में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बन सकती है, जिसमें सरकार गठन के लिए गठबंधन की राजनीति और भी जटिल हो जाएगी।


निष्कर्ष: चुनावी समर का बिगुल बज चुका है

बिहार चुनाव 2025 को लेकर भले ही अभी मतदान में समय हो, लेकिन ओपिनियन पोल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मुकाबला बेहद कांटे का होने जा रहा है। दोनों प्रमुख गठबंधन रणनीति में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहेंगे। अगला चुनाव न सिर्फ बिहार की राजनीतिक दिशा तय करेगा, बल्कि 2029 के लोकसभा चुनावों के लिए भी सियासी संकेत देगा।

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