देहरादून जिले के कालसी क्षेत्र स्थित हरिपुर व्यास की वह विवादित जमीन, जिस पर पाकिस्तान/पीओके के एक व्यक्ति ने मालिकाना हक़ जताया था, अब पूरी तरह सरकार के नाम दर्ज़ हो गई है।
उपजिलाधिकारी कालसी प्रमोदला ने कार्रवाई करते हुए 0.7688 हेक्टेयर भूमि पर दर्ज आठ व्यक्तियों के नाम राजस्व अभिलेख से हटाए दिए और इसे राज्य सरकार में निहित कर दिया। इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट जिलाधिकारी देहरादून को भी भेज दी गई है।
इस जमीन विवाद की शुरुआत मई 2022 में हुई थी, जब जम्मू-कश्मीर निवासी और जम्मू पुलिस से निवृत्त कर्मचारी गुलाम हैदर ने हरिपुर व्यास क्षेत्र में जमीन खरीदी थी।
आरोप है कि हैदर ने फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से जनजातीय क्षेत्र में जमीन हासिल की। उसने परिवार रजिस्टर में अपना नाम दर्ज कराया और स्थायी निवास प्रमाण पत्र भी बनवा लिया था। बताया गया कि इस पूरे मामले में उसके हरिपुर क्षेत्र में रहने वाले एक रिश्तेदार की भी भूमिका रही।
मामला तब अचानक सुर्खियों में आया जब पाकिस्तान/पीओके से जारी एक वीडियो में अब्दुल्ला नाम के व्यक्ति ने दावा किया कि विवादित भूमि उसका पैतृक अचल संपत्ति की है, जिसे उन्होंने इस्माइलबाग मस्जिद को दान में दिया था।
एक अन्य वीडियो में वही व्यक्ति एक मौलवी के साथ खड़े होकर जमीन पर अपना दावा दोहराता दिखा। इसी बीच यह भी खुलासा हुआ कि गुलाम हैदर ने यह जमीन अनेक लोगों को बेच डाली, जिसके बाद अलग-अलग पक्ष भूमि पर कब्जा जताने लगे।
प्रशासन ने सक्रियता दिखाते हुए सभी दावों को निरस्त करते हुए कार्रवाई शुरू की। राजस्व अभिलेखों में दर्ज़ अली, मोह. शफी, मी. अली, मी. शौकत अली, ताजर अली, असगर अली, सफदर अली और बिलकिस अली के नाम हटाकर जमीन राज्य सरकार के नाम निहित कर दी गई।
जनजातीय क्षेत्र में नियम विरुद्ध खरीद-फरोख्त होने पर भूमि को सरकार में निहित कर दिए जाने का प्रावधान लागू करते हुए यह निर्णय लिया गया।
प्रशासनिक कार्रवाई के बाद अब जमीन पर किसी भी प्रकार के निजी दावे समाप्त हो गए हैं और मामला सरकार की निगरानी में है।


