देहरादून के बिल्डर शाश्वत गर्ग पिछले 20 दिनों से अपने पूरे परिवार के साथ लापता हैं। इस बीच उनके इंपीरियल वैली (प्लॉटेड डेवलपमेंट) प्रोजेक्ट पर रे़रा ने बिक्री पर रोक लगा दी है।
रेरा के प्रवक्ता अध्यक्ष अनीता मत्रा ने यह आदेश उस शिकायत के बाद जारी किया, जिसमें निवेशक कमल गर्ग ने बताया कि उन्होंने इस परियोजना में 40 लाख रुपये निवेश किए हैं और बिल्डर के लापता होने के बाद पावर ऑफ अटॉर्नी रखने वाला व्यक्ति प्लॉट बेच सकता है।
रेरा ने परियोजना की किसी भी तरह की खरीद-बिक्री पर अगले आदेश तक रोक लगाते हुए सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों से बिक्री को पूर्ण रूप से निरस्त किया, ताकि परियोजना की स्थिति स्पष्ट की जा सके।
जानकारी के अनुसार, शाश्वत गर्ग ने असमरा टेक्सटाइल्स नाम की फर्म के माध्यम से थीम बेस्ड इंपीरियल वैली प्रोजेक्ट शुरू किया था। इस फर्म में उनकी पत्नी साक्षी गर्ग और विकास ठाकुर पार्टनर हैं। परियोजना का रेरा रजिस्ट्रेशन अगस्त 2025 तक कराया गया था। शाश्वत ने परियोजना की पावर ऑफ अटॉर्नी विकास ठाकुर के पास दे रखी है।
शाश्वत गर्ग, उनकी पत्नी साक्षी, सास-ससुर अंजली और प्रवीन, तथा बेटा ऋषभ 16 अक्टूबर की रात हapur स्थित विवेक विहार (साधुपुरी) में साक्षी के भाई सुलभ गोयल के घर पहुंचे थे।
अगले दिन 17 अक्टूबर की दोपहर बाद वे देहरादून लौटने की बात कहकर निकले, लेकिन इसके बाद से परिवार से कोई संपर्क नहीं हुआ।
बताया गया कि सुलभ ने 4 भाई दून पर वापस आने का संदेश भेजा था। परिवार हर साल दीपावली पर बद्रीनाथ और केदारनाथ दर्शन के लिए जाता रहा, लेकिन इस बार उनका कोई अता-पता नहीं है। परिवारों के अनुसार उनके सभी सदस्यों के फोन भी बंद हैं।
सुलभ गोयल ने हapur कोतवाली में तहरीर देकर आशंका जताई है कि कहीं परिवार के साथ अनहोनी न हो गई हो।
गर्ग परिवार दो गाड़ियों—हुंडई क्रेटा (UK07FK0018) और हुंडई ट्यूसॉन (UK07FL9369)—से सफर कर रहा था। इस घटना के बाद से प्रोजेक्ट से जुड़े लोग देहरादून और आस-पास के माहौल में हैं।
रेरा ने बिल्डर लापता होने के मामले की गंभीरता को समझते हुए भी एडवाइजर से इसे संदिग्ध और अप्राधिकृत बिक्री माना है। साथ ही परियोजना पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए जांच शुरू की है।



