आजकल लोग अपनी तस्वीरें घिबली (Ghibli) स्टाइल में बनाने का बहुत शौक लगाते हैं। नेता हो या सेलिब्रिटी, हर कोई सोशल मीडिया पर अपनी घिबली स्टाइल में बनाई गई तस्वीरें शेयर कर रहा है। फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स जैसे प्लेटफार्मों पर इन तस्वीरों की बाढ़ सी आ गई है। लोग अपनी और अपने बच्चों की एआई-जनरेटेड तस्वीरें बेझिजक तरीके से पोस्ट कर रहे हैं। लेकिन यह जितना मजेदार लगता है, उतना ही खतरनाक भी हो सकता है।
लोग न सिर्फ चैटजीपीटी, बल्कि कई अन्य एआई टूल्स का इस्तेमाल करके अपनी एआई-जनरेटेड तस्वीरें बना रहे हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये तस्वीरें कहां स्टोर हो रही हैं और क्या इस ट्रेंड का हिस्सा बनकर बिना सोचे-समझे अपनी तस्वीरें एआई प्लेटफॉर्म्स पर शेयर करना सुरक्षित है?
लापरवाही पड़ सकती है भारी!
असल में, एआई टेक्नोलॉजी को हल्के में लेना आपके लिए महंगा साबित हो सकता है। बिना सोचे-समझे किसी भी एआई प्लेटफॉर्म पर अपनी तस्वीरें अपलोड करना आपको मुश्किल में डाल सकता है। कुछ साल पहले Clearview AI नाम की कंपनी पर आरोप था कि उसने बिना इजाजत सोशल मीडिया और न्यूज वेबसाइट्स से 3 अरब से ज्यादा तस्वीरें चुराई और यह डेटा पुलिस और निजी कंपनियों को बेच दिया था।
इसके अलावा, मई 2024 में ऑस्ट्रेलिया की Outabox कंपनी का डेटा लीक हुआ था, जिसमें 10 लाख से ज्यादा लोगों के फेशियल स्कैन, ड्राइविंग लाइसेंस और पते चोरी हो गए थे। यह डेटा एक वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया था, जिससे हजारों लोग पहचान चोरी (Identity Theft) और साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो गए थे।
आपके चेहरे से कोई और कमा रहा है पैसा
अगर आपको लगता है कि एआई से अपनी तस्वीरें जनरेट करवाना सिर्फ मनोरंजन का हिस्सा है और इसका कोई बुरा असर नहीं होगा, तो आपको फिर से सोचना चाहिए। Statista की रिपोर्ट के मुताबिक, फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी (Facial Recognition Technology) का बाजार 2025 तक 5.73 बिलियन डॉलर और 2031 तक 14.55 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
इसलिए, अपनी तस्वीरों को एआई प्लेटफॉर्म्स पर शेयर करते समय हमें बेहद सतर्क और जागरूक रहने की जरूरत है, क्योंकि यह केवल एक मजेदार ट्रेंड नहीं बल्कि एक बड़ा साइबर खतरा बन सकता है।