उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहे वन्यजीव हमलों को लेकर गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने शुक्रवार को लोकसभा में गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से पहाड़ों में भालू और गुलदार के हमले खतरनाक स्तर तक बढ़ गए हैं और हालात कर्फ्यू जैसे बनते जा रहे हैं।
सांसद बलूनी ने संसद में केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि पिछले तीन हफ्तों में चार लोगों की मौत और 15 से ज्यादा लोगों के घायल होने की घटनाएं साबित करती हैं कि यह अब सामान्य परिस्थिति नहीं है। बच्चों का स्कूल से निकलना, महिलाओं का जंगल जाना और ग्रामीणों का रोजमर्रा का काम करना खतरे से खाली नहीं है।
उन्होंने इस मुद्दे पर वन मंत्री भूपेंद्र यादव से तुरंत कदम उठाने, विशेषज्ञ टीम भेजने और आधुनिक पिंजरों सहित संसाधनों की आपूर्ति बढ़ाने की अपील की। बलूनी ने एक्स पर भी पोस्ट कर इसे “जनसुरक्षा का गंभीर संकट” बताया और कहा कि इसके लिए ठोस रणनीति तुरंत लागू करनी होगी।
लोकसभा में बलूनी ने कही ये 3 बड़ी बातें…
- गढ़वाल में मैन-एनिमल कॉन्फ्लिक्ट अपने चरम पर: सांसद बलूनी ने कहा माननीय सभापति जी, मैं आपके माध्यम से, सरकार से और हमारे वन मंत्री आदरणीय भूपेंद्र यादव जी भी यहां बैठे हैं उनसे भी आग्रह है कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में और विशेषकर गढ़वाल लोकसभा जो क्षेत्र है उसमें पिछले कई दिनों से मैन एनिमल कॉन्फ्लिक्ट अपने चरम पर है। माननीय सभा पति जी, पिछले तीन हफ्ते के अंदर चार लोगों की मौत हो गई है तेंदुए के हमले के कारण, और पिछले कुछ दिनों में इसमें वृद्धि आई है। 15 से अधिक लोग घायल हुए हैं। पिछले तीन हफ्ते में भालू के हमले अचानक बढ़े हैं। इस मौसम में आमतौर पर भालू के हमले नहीं होते थे वो भी तेजी के साथ हो रहे हैं।
- स्कूल तक बच्चे नहीं भेज पा रहे, कर्फ्यू जैसे हालात: पहाड़ों पर बच्चों को लोग स्कूल भेजना बंद कर रहे हैं, क्योंकि बच्चों पर तेजी से हमले हो रहे हैं।अंधेरा होते ही पहाड़ों पर कर्फ्यू जैसी हालत हो जा रही है।इतना ज्यादा मैन एनिमल कॉन्फ्लिक्ट बढ़ा है।
- WII की टीम तुरंत भेजी जाए, आधुनिक पिंजरों की जरूरत: उन्होंने आगे कहा- मेरा वन मंत्री जी से आग्रह है कि इसमें राज्य की मदद करनी चाहिए, संसाधनों की आवश्यकता है बहुत बड़ी मात्रा में।हम लोगों को नए आधुनिक पिंजरों की जरूरत है। मेरा आग्रह है कि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) की जो टीम है, उसे तुरंत उत्तराखंड भेजना चाहिए, ये जानने के लिए कि आखिर अचानक से इन हमलों में तेजी क्यों आई है, इसकी जांच होनी चाहिए।इसके साथ ही जो लोग अपने परिजनों को खो रहे हैं, उनकी वन विभाग द्वारा या फिर भारत सरकार द्वारा और क्या क्या मदद हो सकती है, उसका ध्यान रखा जाना चाहिए।


