उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनाव में हुए बवाल, पांच बीडीसी सदस्यों के कथित अपहरण और मतपत्र में ओवरराइटिंग के मामले में सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने अब एसएसपी नैनीताल के बाद मामले की जांच कर रहे सीबीसीआईडी अधिकारी और कथित रूप से अपहृत किए गए पांचों बीडीसी सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है।
इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने पिछली सुनवाई में एसएसपी नैनीताल को तलब किया था। एसएसपी कोर्ट के पूर्व आदेश के अनुपालन में खंडपीठ के समक्ष पेश हुए थे।
सुनवाई के बाद, कोर्ट ने एएसपी सीबीसीआईडी हल्द्वानी को अपनी पूरी जांच रिपोर्ट के साथ व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया। इसके साथ ही, कथित रूप से अपहृत किए गए पांचों बीडीसी सदस्यों को भी कोर्ट में उपस्थित होने को कहा गया है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 दिसंबर की तारीख तय की गई है।
चुनाव के दौरान 14 अगस्त को हुआ था बवाल
मौजूदा सुनवाई के दौरान, पांचों बीडीसी सदस्य कोर्ट में पेश नहीं हुए, जिस पर अदालत ने नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट ने उन्हें 10 दिसंबर को अनिवार्य रूप से उपस्थित होने के सख्त निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव के दौरान 14 अगस्त को हुए बवाल और कुछ सदस्यों के अपहरण के आरोपों को लेकर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था। इस मामले में चुनाव में विजयी कई सदस्यों ने भी न्यायालय का रुख किया था।
इसी मामले में बीडीसी सदस्य पूनम बिष्ट ने हाईकोर्ट में एक अलग याचिका दायर की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि अध्यक्ष पद के चुनाव में एक मतपत्र में ओवरराइटिंग करके क्रमांक 1 को 2 कर दिया गया, जिससे वह अमान्य घोषित हो गया और चुनाव परिणाम प्रभावित हुआ। याचिका में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए पुन मतदान (री-पोलिंग) कराए जाने की मांग की गई है।


