उत्तराखंड में कैंसर मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। राज्य कैंसर इंस्टीट्यूट के आंकड़ों के अनुसार पिछले दस सालों में कैंसर के मामलों में लगभग दोगुनी वृद्धि दर्ज की गई है। 2014-15 में जहां करीब 4,000 मरीज रजिस्टर्ड हुए थे, वहीं 2024-25 में यह संख्या बढ़कर लगभग 8,000 पर पहुंच गई है। इसमें ओपीडी से लेकर भर्ती मरीजों तक के आंकड़े शामिल हैं।
भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के संसद में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, उत्तराखंड में 2018 से 2020 के बीच कैंसर के मामलों में 4-5% की वृद्धि हुई है। राज्य में 2018 में 10,932 मामले, 2019 में 11,216 मामले, 2020 में 11,482 मामले, और 2021 में लगभग 11,779 मामले सामने आए हैं। उत्तराखंड में कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या 2018 में 6028 थी, जो 2019 में बढ़कर 6184 और 2020 में 6337 हो गई थी।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5, 2019-2021) के आंकड़ों के अनुसार, उत्तराखंड में कैंसर की जांच (स्क्रीनिंग) दर देश में सबसे कम दरों में से एक है:
- महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की जांच: 0.4% (राष्ट्रीय औसत 1.9% के मुकाबले)
- महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की जांच: 0.2% (राष्ट्रीय औसत 0.9% के मुकाबले)
- पुरुषों में मौखिक कैंसर की जांच: 0.4% (राष्ट्रीय औसत 1.2% के मुकाबले)
राज्य कैंसर इंस्टीट्यूट के निदेशक बोले- महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में तेजी
हल्द्वानी स्थित स्वामी राम कैंसर अस्पताल और राज्य कैंसर इंस्टीट्यूट में हर साल हजारों मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। अस्पताल प्रशासन के अनुसार, वर्तमान में प्रतिदिन 60 से 70 मरीज ओपीडी में परामर्श और इलाज के लिए आते हैं।
कैंसर इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. केसी पांडे ने बताया कि पुरुषों में हेड एंड नेक कैंसर और मुंह के कैंसर के मामले सर्वाधिक मिल रहे हैं, जबकि महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के केस तेजी से बढ़े हैं। उन्होंने बताया कि बीते कुछ सालों में मरीजों की संख्या में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है।
डॉक्टरों का कहना है कि यदि शरीर में कोई गांठ, घाव लंबे समय तक ठीक न होना या शरीर में कोई असामान्य बदलाव दिखाई दे, तो इसे नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय रहते कैंसर का पता चल जाए तो ठीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
- पहली स्टेज में ठीक होने की संभावना 90% तक,
- दूसरी स्टेज में 70%,
- तीसरी स्टेज में 50%,
- जबकि चौथी स्टेज में सिर्फ 20% तक रह जाती है।
कैंसर क्या है?
हमारे शरीर में लगभग 30 खरब यानी 30 लाख करोड़ कोशिकाएं हैं। ये सभी एक निश्चित पैटर्न में नियंत्रित तरीके से बढ़ती हैं और एक समय के बाद खुद ही नष्ट हो जाती हैं। इनकी जगह नई कोशिकाएं आ जाती हैं। कैंसर होने पर ये सामान्य कोशिकाएं कैंसर सेल्स में बदल जाती हैं और बेकाबू तरीके से कई गुना बढ़ने लगती हैं।
80 करोड़ रुपए की लागत से बन रही नई बिल्डिंग
डॉ. पांडे ने बताया कि बढ़ते मरीजों को देखते हुए स्वामी राम कैंसर संस्थान को अपग्रेड कर स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट बनाया गया है। लगभग 80 करोड़ रुपए की लागत से नई बिल्डिंग का निर्माण अंतिम चरण में है। वर्तमान में उपचार और मरीजों की भर्ती कैंसर इंस्टीट्यूट में हो रही है, जबकि ऑपरेशन की सुविधा डॉक्टर सुशीला तिवारी अस्पताल में उपलब्ध है।
नई बिल्डिंग तैयार होने के बाद कैंसर के सभी जटिल उपचार और सर्जरी भी स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में ही उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे मरीजों को उन्नत सुविधाएं एक ही स्थान पर मिल सकेंगी।


