Friday, November 7, 2025
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1469 किमी सिंगल लेन मार्गों को डबल लेन में परिवर्तित किया जाएगा: महाराज

आंदोलनकारियों के सपनों के अनुरूप हो रहा है राज्य में सड़कों का विस्तार

देहरादून। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के सपनों के अनुरूप लोक निर्माण विभाग राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वर्ष 2000 राज्य गठन के समय प्रदेश में सड़कों की कुल लम्बाई 15,470 किमी० थी, जो कि इन 25 वर्षों में बढ़कर 43,765 किमी हो चुकी है। अगले 25 वर्षों में हमारा लक्ष्य अमृतसर-कोलकत्ता औद्योगिक गलियारे के तहत 10.60 किलोमीटर नगला-किच्छा मार्ग को दो लाइन से चार लाइन में परिवर्तित करने करने के साथ-साथ कई बड़ी परियोजनाओं पर काम करने का है ताकि 2047 तक उत्तराखंड विकसित राज्य की श्रेणी में आ सके।

उक्त बात प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री सतपाल महाराज ने उत्तराखंड की रजत जयंती पर विभागीय उपलब्धियों की जानकारी देते हुए कही। उन्होंने कहा कि राज्य में 5700 किलोमीटर कच्चे मार्गों को पक्के मोटर मार्गो में परिवर्तित किया जाएगा और राष्ट्रीय राजमार्ग के अंतर्गत 1469 किलोमीटर सिंगल लेन मार्गों को डबल लाइन में परिवर्तित किया जाएगा। इसके अलावा दुर्गम स्थानों में मार्ग की दूरी कम करने एवं संवेदनशील स्थलों के बाईपास हेतु टनल्स का निर्माण, रज्जू मार्गो का निर्माण और भूमिगत गलियारे आदि का निर्माण भी किया जाएगा। अगले 25 वर्षो में हल्द्वानी बाईपास, खटीमा बाईपास, काठगोदाम बाईपास, आशारोड़ी-आईएसबीटी-मोहकमपुर, देहरादून देहरादून बाई पास, लोहाघाट बाईपास, पिथौरागढ़ बाईपास, अल्मोड़ा बाईपास, ऋषिकेश बाईपास, गैरसैंण बाईपास, कर्णप्रयाग बाईपास, गोपेश्वर बाईपास, अगस्तमुनि बाईपास, पौड़ी बाईपास, श्रीनगर बाईपास, आदि बद्री बाईपास, रामनगर बाईपास, कोटद्वार बाईपास, हरिद्वार बाईपास फेज-ll, लाल कुआं-हल्द्वानी-काठगोदाम बाईपास, पंतनगर बाईपासों का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। लोक निर्माण विभाग विजन-2050 के लिए एक ठोस कार्य योजना पर काम कर रहा है। इसके तहत मानसखण्ड मंदिर माला परियोजना के तहत चारधाम की तर्ज पर कुमाऊं के 16 प्राचीन मन्दिरों को जोड़ने वाली सड़कों का चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण किया जाएगा जिससे इस क्षेत्र में भी पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। सेतुओं के उन्नयन हेतु ए०डी०बी० की सहायता से राज्य के 460 पुराने क्लास-बी लोडिंग पुलों को आधुनिक और भारी वाहनों के लिए उपयुक्त क्लास-ए में अपग्रेड किया जाएगा। राजमार्गों के विस्तारीकरण के तहत 1469 किलोमीटर सिंगल लेन राष्ट्रीय राजमार्ग को दो लेन में बदला जायेगा और खैरना-रानीखेत-रामनगर जैसे महत्वपूर्ण राज्य राजमार्गों का चौड़ीकरण भी किया जाएगा। इसके अलावा शून्य-सहिष्णुता सड़क सुरक्षा के अंतर्गत सभी राज्य राजमार्गों पर कैश बैरियर और पैराफिट की पूर्ण स्थापना कर सड़क सुरक्षा के उच्चतम मानकों को प्राप्त किया जाएगा।

श्री महाराज ने कहा कि राज्य गठन के समय वर्ष 2000 में 10048 गांव मोटर मार्गों से लाभान्वित थे। जिनकी संख्या आज बढ़कर 14027 हो चुकी है। इतना ही नहीं पिछले 25 वर्षों में सरकार ने कुल 3979 ग्रामों को सड़क मार्ग से जोड़ कर विकास का मार्ग प्रशस्त किया है। पैदल सेतुओं की संख्या आज बढ़कर 1303 हो गई है तो वहीं मोटर पुलों की संख्या बढ़कर 2270 हो चुकी है। राज्य गठन के समय प्रदेश में 526 राष्ट्रीय राजमार्ग थे जिनकी संख्या आज सात गुना बढ़कर 3595 हो चुकी है।

उन्होंने बताया कि राज्य के प्रसिद्ध चारधामों गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ एवं कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग जिनकी कुल लम्बाई 889 किलोमीटर है में यातायात को सुगम बनाने के लिए ऑल वेदर रोड कनेक्टिविटी के तहत भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 12769 करोड़ की धनराशि परियोजना का शुभारम्भ 27 दिसम्बर 2016 को प्रधानमंत्री द्वारा किया गया था उस पर लगातार काम हो रहा है।

प्रदेश के विभिन्न जनपदों में शहरों एवं कस्बों के मुख्य मार्गो पर बढते यातायात का दबाव कम करने के लिए नैनीताल,
रूद्रप्रयाग, काशीपुर एवं हल्द्वानी सहित अनेक स्थानों पर बाईपास का निर्माण किया गया है। इसके अलवा कैंचीधाम, चम्पावत, हरिद्वार रूद्रपुर आदि स्थानों पर भी बाईपास निर्माण का कार्य प्रगति पर है।

श्री महाराज ने जानकारी देते हुए बताया कि इसके अलावा शहरी यातायात समाधान के तहत प्रदेश के सभी व्यस्त शहरों में रिंग रोड का निर्माण और प्रमुख चौराहों पर फ्लाई ओवर का निर्माण कर उन्हें जाममुक्त बनाया जाएगा। शहरों में विभिन्न महत्वपूर्ण स्थानों पर लगने वाले जाम के निदान हेतु कई फ्लाईओवर का निर्माण किया गया है और निकट भविष्य में देहरादून स्थित रिस्पना एवं बिंदाल नादियों के ऊपर 26 कि०मी० एलीवेटड कोरीडोर की संकल्पना का भी लक्ष्य है। जिस पर भू-अधिग्रहण कार्यवाही चल रही है। जबकि जनपद नैनीताल के नौकुचियाताल, नैनीताल के हल्द्वानी, अल्मोडा के टार्टीक, पिथौरागढ़ के मुनस्यारी में हेलीपोर्ट का निर्माण किया गया है। उत्तरकाशी के दयारा के निकट नटीण, गंगोत्री धाम ढामक तोक में हैलिपेड और चिन्यालीसौड हवाई पट्टी पर हैलीपोर्ट एवं सुन्कुन्डी जखोल में हैलीपैड बनाये गये हैं। जनपद चमोली, टिहरी एवं देहरादून और पौड़ी जनपदों में विभिन्न स्थानों पर हैलीपोर्ट निर्मित किये गये है।

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