Monday, September 15, 2025
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राष्ट्रीय खेल: सपनों की उड़ान और खेल प्रतिभाओं का मंच

साल 1924 की बात है, जब भारत में पहली बार खेलों का एक ऐसा आयोजन हुआ, जिसने देश के खिलाड़ियों के लिए नए रास्ते खोल दिए। दिल्ली में आयोजित इस पहले राष्ट्रीय खेल को तब ‘इंडियन ओलंपिक गेम्स’ कहा जाता था। यह खेल सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं थे, बल्कि एक सपने की शुरुआत थी।

तब भारत में खेलों को लेकर अधिक जागरूकता नहीं थी, लेकिन इन खेलों के माध्यम से देश के प्रतिभाशाली खिलाड़ी चुने जाते थे, जिन्हें आगे चलकर ओलंपिक जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भेजा जाता था। धीरे-धीरे यह आयोजन लोकप्रिय होता गया, और साल 1940 में जब ये खेल बॉम्बे (अब मुंबई) में हुए, तो इनका नाम बदलकर ‘नेशनल गेम्स ऑफ इंडिया’ कर दिया गया।

हर दो साल में होने वाले इन खेलों का मुख्य उद्देश्य देश के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को एक मंच देना था, जहाँ वे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें। राष्ट्रीय सरकार ने इस पहल को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कई कदम उठाए। देश के विभिन्न राज्यों से खिलाड़ी इन खेलों में भाग लेने के लिए आते, और उनके प्रदर्शन के आधार पर उन्हें अंतरराष्ट्रीय खेलों के लिए चुना जाता।

समय के साथ इन खेलों का महत्व और भी बढ़ता गया। खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएँ, प्रशिक्षण और संसाधन मिलने लगे। सरकार ने सुनिश्चित किया कि यह आयोजन सिर्फ एक प्रतियोगिता बनकर न रह जाए, बल्कि यह खिलाड़ियों के सपनों को उड़ान देने का एक सशक्त मंच बने।

हर बार जब राष्ट्रीय खेल आयोजित होते, तो पूरे देश में खेलों का माहौल बन जाता। विभिन्न राज्यों से युवा एथलीट अपने सपनों को पूरा करने के लिए इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेते। उनके भीतर एक जुनून होता, एक लक्ष्य होता कि वे अपने राज्य का, और आगे चलकर अपने देश का नाम रोशन करें।

mascot anthem jersey torch for 38th National Games

राष्ट्रीय खेल की इस पहल ने देश को कई महान खिलाड़ी दिए, जिन्होंने न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का परचम लहराया। यह केवल एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि एक क्रांति थी, जिसने खेलों को भारत में एक नई पहचान दी।

सरकार का यह कदम आज भी हजारों युवाओं को प्रेरित कर रहा है। हर राज्य अपने बेहतरीन खिलाड़ियों को तैयार करने में जुटा है, ताकि वे इस मंच पर बेहतरीन प्रदर्शन कर सकें। यह केवल खेलों का आयोजन नहीं, बल्कि देश के युवा एथलीट्स के लिए एक सुनहरा अवसर है, जहाँ वे अपनी प्रतिभा को निखार सकते हैं और दुनिया के सामने अपनी काबिलियत साबित कर सकते हैं।

राष्ट्रीय खेल की यह परंपरा, जो लगभग एक सदी पहले शुरू हुई थी, आज भी उसी जोश और उत्साह के साथ जारी है। यह खेलों का त्योहार है, जिसमें पूरे देश की उम्मीदें और सपने जुड़े होते हैं। यह सरकार की एक अनूठी पहल है, जो भारत को खेलों के क्षेत्र में एक नई ऊँचाई पर ले जाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

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