यूसीसी नियमावली उत्तराखंड
- दायरा:
- उत्तराखंड राज्य के सभी क्षेत्रों पर लागू होगा, केवल अनुसूचित जनजातियों को छोड़कर।
- राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के निवासी भी इसके दायरे में आएंगे।
- प्राधिकार:
- ग्रामीण क्षेत्र: एसडीएम रजिस्ट्रार और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे।
- नगर पंचायत/नगर पालिका: संबंधित एसडीएम रजिस्ट्रार और कार्यकारी अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे।
- नगर निगम: नगर आयुक्त रजिस्ट्रार और कर निरीक्षक सब रजिस्ट्रार होंगे।
- छावनी क्षेत्र: संबंधित CEO रजिस्ट्रार और रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर या सीईओ द्वारा अधिकृत अधिकारी सब रजिस्ट्रार होंगे।
- रजिस्ट्रार जनरल के तहत सभी रजिस्ट्रार और सब रजिस्ट्रार कार्य करेंगे, जो सचिव स्तर के अधिकारी और इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन होंगे।
- रजिस्ट्रार जनरल के कर्तव्य:
- यदि रजिस्ट्रार निर्धारित समय में कार्रवाई नहीं करते हैं तो मामला रजिस्ट्रार जनरल के पास जाएगा।
- रजिस्ट्रार या सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ अपील 60 दिन के भीतर रजिस्ट्रार जनरल से की जा सकती है।
- रजिस्ट्रार के कर्तव्य:
- सब रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ 60 दिन में फैसला करना।
- लिव-इन या विवाह कानूनों के उल्लंघन की सूचना पुलिस को देना।
- सब रजिस्ट्रार के कर्तव्य:
- दस्तावेजों की जांच और आवेदक से स्पष्टीकरण की प्रक्रिया 15 दिन में करनी होगी, तत्काल मामलों में तीन दिन में।
- नियम उल्लंघन या समय पर आवेदन न देने पर जुर्माना और पुलिस को सूचित करना।
- विवाह की जानकारी सत्यापित न होने पर माता-पिता या अभिभावकों को सूचित करना।
- विवाह पंजीकरण:
- 26 मार्च 2010 से पहले हुए विवाह का पंजीकरण अगले 6 महीनों में करवाना होगा।
- संहिता लागू होने के बाद हुए विवाह का पंजीकरण विवाह तिथि से 60 दिन के भीतर करना होगा।
- आवेदकों के अधिकार:
- यदि रजिस्ट्रार समय पर कार्रवाई नहीं करता है तो ऑनलाइन शिकायत की जा सकती है।
- अस्वीकृति के खिलाफ 30 दिन के भीतर अपील की जा सकती है।
- लिव-इन रिलेशनशिप:
- संहिता लागू होने से पहले लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण एक महीने के भीतर कराना होगा।
- संहिता लागू होने के बाद लिव-इन रिलेशनशिप में प्रवेश के एक महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा।
- लिव-इन समाप्ति के लिए एक साथी द्वारा ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन किया जा सकता है।
- यदि महिला गर्भवती हो जाती है तो रजिस्ट्रार को सूचना देनी होगी और बच्चे के जन्म के 30 दिन के भीतर इसे अपडेट करना होगा।
- विवाह विच्छेद:
- तलाक या विवाह शून्यता के आवेदन में विवाह पंजीकरण, अदालत केस नंबर, अंतिम आदेश की तिथि, बच्चों का विवरण और कोर्ट के अंतिम आदेश की कॉपी की आवश्यकता होगी।
- वसीयत आधारित उत्तराधिकार:
- वसीयत तीन तरीकों से हो सकेगी: ऑनलाइन पोर्टल पर फॉर्म भरकर, हस्तलिखित या टाइप्ड वसीयत अपलोड करके, या तीन मिनट की वीडियो में वसीयत बोलकर।
- यूसीसी की यात्रा:
- 27 मई 2022: यूसीसी पर विशेषज्ञ समिति का गठन।
- 02 फरवरी 2024: यूसीसी पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत।
- 08 फरवरी 2024: राज्य विधानसभा द्वारा अनुमोदन।
- 08 मार्च 2024: भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदन।
- 12 मार्च 2024: यूसीसी उत्तराखंड अधिनियम 2024 जारी।
- 18 अक्टूबर 2024: यूसीसी नियमावली प्रस्तुत।
- 27 जनवरी 2025: यूसीसी लागू।
- यूसीसी क्रियान्वयन योजना:
- ऑनलाइन आवेदन के लिए पोर्टल (ucc.uk.gov.in) का विकास।
- कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) प्रशिक्षण भागीदार के रूप में नामित।
- जिलों में नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए।
- हेल्पडेस्क (1800-180-2525) स्थापित किया गया।
- विधिक प्रश्नों के समाधान के लिए जिला स्तरीय अधिकारी नियुक्त।
- नागरिक जागरूकता के लिए शॉर्ट वीडियो और बुकलेट्स उपलब्ध कराए गए।
