Monday, December 8, 2025
spot_imgspot_imgspot_img
HomeUttarakhand Newsयूसीसी देव भूमि वासियों के लिए गौरवशाली क्षण: किशोर

यूसीसी देव भूमि वासियों के लिए गौरवशाली क्षण: किशोर

राज्य मे लागू हो रहा यूसीसी देव भूमि वासियों के लिए गौरवशाली क्षण: किशोर

देहरादून । भाजपा ने राज्य मे लागू हो रहे यूसीसी को समस्त देव भूमिवासियों के लिए गौरवशाली कालखंड बताया है। पतित पावनी मां गंगा के प्रवाह की तरह, एक समान कानून का यह व्यवहारिक संदेश देश भर मे स्थापित होगा। धर्म, जाति और परंपरा के आधार पर भेदभाव समाप्त करने वाले इस कानून को लेकर, उत्तराखंड एक मॉडल स्टेट का काम करेगा।

पार्टी मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता एवं टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय ने यूसीसी पर कहा कि जैसा मुख्यमंत्री धामी पहले ही स्पष्ट संकेत दे चुके हैं कि इस पावन माह से शुभ कार्यों की शुरुआत हो रही है। सनातन संस्कृति की पथ प्रदर्शक देवभूमि, सभी लोगों के लिए यूसीसी के रूप में समान कानून का शुभारम्भ करने जा रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरह पतित पावनी मां गंगा का जल, समूचे देश को खुशहाल और समृद्ध करता है। ठीक उसी तरह यह समान नागरिक संहिता, देशभर में कानूनी एकरूपता, समान कानून और बराबर अधिकार के अनुभव को स्थापित करेगा।
उन्होंने कहा कि यह कानून, शादी, तलाक, संपत्ति और परिवार के नियम हर धर्म और जाति के लोगों के लिए एक जैसे बनायगा। यह मातृ शक्ति का सशक्तिकरण, समाज की एकजुटता और सबके अधिकार को सुरक्षित करेगा।

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इस अधिनियम का उद्देश्य धर्म, जाति या परंपरा के आधार पर भेदभाव खत्म करना है। जिसके तहत प्रक्रियाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म पूर्ण किया जा सकेगा। विवाह पंजीकरण, इच्छापत्र संशोधन, और अन्य आवेदन को ऑनलाइन किया जा सकेगा। वहीं विवाहित और सहवासिक जोड़ों के साझा आवास में रहने के अधिकार भी संरक्षित होंगे। इसकी संरचना को चार भागों में बांटा गया है, विवाह, उत्तराधिकार, लिव इन संबंध, विविध। जिनमें 7 अध्याय और 392 धाराएँ शामिल हैं। वहीं विविध प्रावधानों के तहत तकनीकी और व्यवहारिक परेशानियों को दूर करने के अधिकार, संबंधित प्राधिकरण को दिए गए हैं।

इसमें हिंदू विवाह अधिनियम, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, और मुस्लिम पर्सनल लॉ एप्लीकेशन एक्ट जैसे कानूनों को प्रतिस्थापित कर नए नियम का सरलीकरण किया गया है।

मातृ शक्ति सशक्तिकरण के लिए इसमें अनेकों कदम उठाए गए हैं, जैसे उत्तराधिकार के मामलों में पुरुष और महिलाओं के समान अधिकार दिए जा रहे हैं। पैतृक संपत्ति में महिलाओं का अधिकार संरक्षित रहेगा। सबसे महत्वपूर्ण है कि बहुविवाह, बहुपतित्व, हलाला, इद्दत और तीन तलाक जैसी परंपराएँ पूरी तरह से अमान्य होंगी। साथ ही तलाक के मामले छह महीने के भीतर पंजीकृत करना अनिवार्य होगा।

वहीं विवाह पंजीकरण अनिवार्य होगा। इसमें 27 मार्च 2010 के बाद हुए विवाहों का पंजीकरण पहले से किया गया हो, तो सिर्फ सूचना देना पर्याप्त होगा। वहीं विवाह पंजीकरण के लिए ऑनलाइन और कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के माध्यम से आवेदन की सुविधा दी जा रही है। जिसमें सब-रजिस्ट्रार को आवेदन के 15 दिनों के भीतर इसपर निर्णय करना होगा। साथ ही तलाक के मामले छह महीने के भीतर पंजीकृत करना अनिवार्य होगा।

उन्होंने कहा कि देवभूमि से इस ऐतिहासिक कार्य की शुरुआत हो रही है, यह हम सबके लिए गौरवशाली अवसर है। उत्तराखंड यूसीसी के संदर्भ में देश के लिए मॉडल स्टेट का काम करेगा और भविष्य में अनुभव के आधार पर इसमें जरूरी सुधार की गुंजाइश है।

जनजातियों को शामिल नहीं करने को लेकर कांग्रेसी आरोपी पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा प्रारूप कमेटी और विधानसभा में बहस के दौरान सभी बातें स्पष्ट की गई थी। क्योंकि एसटी क्षेत्र को लेकर कुछ अधिकार केंद्र में संरक्षित हैं, जिसको लेकर कुछ कानूनी बाध्यताएं हैं। बावजूद इसके भविष्य में यदि जनजाति समाज एकमत होकर इस मुद्दे पर तैयार होगा तो उन्हें भी शामिल करने पर विचार किया जा सकता है।

पत्रकार वार्ता के दौरान प्रदेश सहमीडिया राजेंद्र नेगी और प्रदेश प्रवक्ता श्रीमती हनी पाठक भी मौजूद रहे।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments