दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राजनीतिक माहौल काफी गर्म है, जहां विभिन्न दलों की रणनीतियाँ और उम्मीदवारों की स्थिति एक नए मोड़ पर पहुंच चुकी हैं। इस बार, दिल्ली चुनाव में नए चेहरों के चुनावी मैदान में उतरने के कारण मुकाबला और भी रोमांचक हो गया है। AAP, भाजपा, और कांग्रेस तीनों ने अपने-अपने रणनीतिक बदलाव किए हैं, जो दिल्ली की सियासत में नए समीकरण पैदा कर सकते हैं।
AAP का 4वीं बार सत्ता में आने का इरादा:
AAP ने इस बार विधानसभा चुनाव में कई पुराने चेहरों को किनारे करते हुए नए नेताओं को अवसर दिया है। दिल्ली में पार्टी की उम्मीद इस बार भी तीन बार की जीत पर चौथी बार सत्ता में बने रहने की है। इस रणनीति में कुछ नए चेहरों को मैदान में उतारने के साथ, पार्टी ने पिछले चुनावों में जीतने वाले कुछ मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया। इससे पार्टी को अपनी रणनीतिक सफलता या विफलता का फैसला करना होगा।

भा.ज.पा. और कांग्रेस की रणनीतियाँ:
भा.ज.पा. ने भी नए चेहरे उतारे हैं और इस बार अपनी रणनीतियों में बदलाव करते हुए नई उम्मीदों का सामना किया है। वही, कांग्रेस ने भी कई सीटों पर पुराने चेहरों को हटा दिया है और नए उम्मीदवारों को मौका दिया है। कांग्रेस की यह रणनीति दिल्ली में अपनी स्थिति को मजबूत करने के उद्देश्य से है।
नई सीटों पर चुनाव:
चुनाव में 10 सीटों पर नए चेहरों का आगाज होगा, जैसे कि आदर्श नगर, चांदनी चौक, हरी नगर, जनकपुरी, नजफगढ़, पालम, महरौली, देवली, त्रिलोकपुरी और कृष्णा नगर। इन सीटों पर न केवल पार्टी के उम्मीदवार बदल रहे हैं, बल्कि कई पुराने विधायक भी चुनावी दंगल में हिस्सा नहीं लेंगे। यह बदलाव दिल्ली के सियासी समीकरण को नया मोड़ दे सकते हैं। इन सीटों पर नए चेहरे अपनी किस्मत आजमाएंगे और यह चुनावी प्रक्रिया इन नेताओं के लिए एक परीक्षा की घड़ी होगी।
दिल्ली की प्रमुख सीटों पर मुकाबला:
दिल्ली विधानसभा की कुछ प्रमुख सीटों पर, जैसे कि नई दिल्ली, कालकाजी, बल्लीमारान और पटपड़गंज, मुकाबला बेहद तीव्र होगा। इन सीटों पर विभिन्न दलों के दिग्गज नेता अपने-अपने भाग्य को आजमाने के लिए मैदान में हैं। इन सीटों पर उम्मीदवारों की संख्या भी ज्यादा है, जिससे मुकाबला और भी कड़ा हो गया है।
नए चेहरों का चुनावी दंगल:
चांदनी चौक, नजफगढ़, पालम, महरौली और देवली जैसी सीटों पर नए चेहरों को चुनावी मैदान में उतारने से, यह सापेक्ष रूप से नई राजनीति का आगाज कर रहा है। इस बदलाव से यह पता चलता है कि दिल्ली के राजनीतिक दल अब पुराने चेहरों से बाहर निकलकर नए नेताओं को मौका दे रहे हैं, जो आने वाले चुनावों में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
यह चुनावी समर निश्चित रूप से एक दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण दौर होगा, जहां AAP, भाजपा और कांग्रेस तीनों अपनी-अपनी रणनीतियों से सत्ता पर काबिज होने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।