देहरादून: उत्तराखंड भाजपा का नया अध्यक्ष मार्च के पहले हफ्ते में घोषित किया जा सकता है। 20 फरवरी तक मंडल अध्यक्षों की घोषणा और 28 फरवरी तक जिलाध्यक्षों के नाम तय कर दिए जाएंगे। इस बार 70 विधानसभा क्षेत्रों के लिए तीन-तीन पर्यवेक्षकों को नियुक्त किया गया है। निकाय चुनावों के कारण चुनावी प्रक्रिया रोक दी गई थी, लेकिन अब भाजपा ने नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर अपनी तैयारियां फिर से शुरू कर दी हैं।
उत्तराखंड भाजपा के संगठनात्मक चुनावों को लेकर अब स्थिति स्पष्ट हो रही है। पार्टी के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी के अनुसार, 20 फरवरी तक मंडल अध्यक्षों की घोषणा हो जाएगी, जबकि जिलाध्यक्षों की घोषणा 28 फरवरी तक होगी। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए तीन-तीन पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए हैं, जो 15 फरवरी से विधानसभा क्षेत्रों में जाकर मंडल अध्यक्ष पद के लिए स्थानीय वरिष्ठ और सक्रिय कार्यकर्ताओं से रायशुमारी करेंगे। इसके बाद तीन संभावित नामों का पैनल तैयार कर प्रदेश संगठन को सौंपा जाएगा। सर्वसम्मति से मंडल अध्यक्षों का चयन किया जाएगा।

इसी प्रक्रिया के तहत 25 फरवरी तक जिलाध्यक्षों के लिए पैनल सौंपे जाएंगे, और 28 फरवरी तक उनकी घोषणा हो जाएगी। विधानसभा क्षेत्रों में जाने से पहले, 9 फरवरी को देहरादून में एक कार्यशाला आयोजित की जाएगी, जिसमें पर्यवेक्षकों, जिलाध्यक्षों, जिला प्रभारी और प्रदेश प्रभारी सभी शामिल होंगे।
प्रदेश अध्यक्ष के मनोनयन की संभावना
यह संभावना जताई जा रही है कि मंडल और जिलाध्यक्षों की घोषणा के एक हफ्ते के भीतर प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय कर दिया जाएगा। भाजपा के संविधान के अनुसार, जब राज्य स्तर पर चुनाव की 50 प्रतिशत प्रक्रिया पूरी हो जाती है, तो राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है। कहा जा रहा है कि फरवरी के आखिरी हफ्ते में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कर सकती है, जिसके बाद केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय करेगा।
भट्ट के रिपीट होने की चर्चाएं
पार्टी के अंदर चल रही चर्चाओं के अनुसार, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद पर महेंद्र भट्ट को रिपीट भी कर सकती है। यदि भट्ट रिपीट नहीं हुए, तो पार्टी गढ़वाल के किसी ब्राह्मण चेहरे को संगठन की बागडोर सौंप सकती है, जो भाजपा की राजनीतिक परंपरा के अनुरूप होगा। हालांकि, पार्टी के भीतर यह भी चर्चा हो रही है कि इस बार दलित या ओबीसी चेहरे को संगठन की जिम्मेदारी सौंपकर नया प्रयोग किया जा सकता है। ब्राह्मण चेहरे के तौर पर प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी और विधायक विनोद चमोली के नामों पर चर्चा हो रही है, जबकि दलित चेहरे के रूप में विधायक खजान दास का नाम प्रमुख है। अगर महिला चेहरे को जिम्मेदारी दी जाती है, तो केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल और महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महासचिव दीप्ति रावत के नाम पर भी विचार किया जा सकता है।