मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड को देश का पहला राज्य बनाने की ऐतिहासिक घोषणा की, जहां समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू की गई है। इस घोषणा के साथ, मुख्यमंत्री ने राज्य में यूसीसी की अधिसूचना का अनावरण किया और ucc.uk.gov.in पोर्टल का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री ने इस पोर्टल पर सबसे पहले अपने विवाह का पंजीकरण कराया, और सबसे पहले पंजीकरण करने वाले पांच आवेदकों को प्रमाणपत्र भी प्रदान किए। इस मौके पर उन्होंने कहा कि यह दिन न केवल उत्तराखंड के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए ऐतिहासिक है। उन्होंने इसे समाज में समानता और समान अधिकार स्थापित करने का एक कदम बताया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि यूसीसी लागू करने का विचार विशेषज्ञ कमेटी द्वारा 2.35 लाख लोगों से संपर्क करने के बाद किया गया। यह कदम संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. बी.आर. अंबेडकर और संविधान सभा के अन्य सदस्यो को सच्ची श्रद्धांजलि है।

मुख्यमंत्री ने भावुक होते हुए कहा कि यह दिन उत्तराखंडवासियों के लिए गर्व का पल है, क्योंकि यह उनका सपना था कि राज्य में समान नागरिक संहिता लागू हो, और यह राज्य सरकार के संकल्प का परिणाम है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का भी आभार व्यक्त किया, जिनके मार्गदर्शन में यह संभव हो पाया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि यूसीसी के तहत विवाह, विवाह विच्छेद, उत्तराधिकार जैसे मामलों में समानता स्थापित की गई है, और इसके जरिए महिला सुरक्षा एवं सशक्तिकरण सुनिश्चित किया जा सकेगा। इसके अलावा, लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- पहले छह महीने में पंजीकरण शुल्क नहीं: जिनका विवाह यूसीसी लागू होने से पूर्व पंजीकृत हुआ हो, उनसे पहले छह महीने में कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
- विवाह के लिए न्यूनतम उम्र: लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित की गई है।
- लिव-इन और बाल अधिकार: लिव-इन रिलेशनशिप के तहत बच्चों को समान अधिकार मिलेंगे।
- यूसीसी दिवस: मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि प्रति वर्ष 27 जनवरी को यूसीसी दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
यह कदम उत्तराखंड के इतिहास में एक नए युग की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है, जो समाज में समानता और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।