देहरादून और नैनीताल में मौजूद ‘राजभवन’ को अब ‘लोक भवन’ के नाम से जाना जाएगा. जिसके आदेश जारी कर दिए गए हैं.
देहरादून: उत्तराखंड ‘राजभवन’ का नाम बदलकर अब ‘लोक भवन’ कर दिया गया है. जिसके तहत देहरादून और नैनीताल में मौजूद ‘राजभवन’ को अब ‘लोक भवन’ के नाम से जाना जाएगा.
दरअसल, 25 नवंबर 2025 को जारी गृह मंत्रालय भारत सरकार के पत्र संख्या के तहत और उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (रि) गुरमीत सिंह की स्वीकृति के बाद देहरादून और नैनीताल स्थित राजभवन (Raj Bhavan) का नाम आधिकारिक रूप से लोक भवन (Lok Bhavan) कर दिया गया है. अब राजभवन उत्तराखंड (Raj Bhavan Uttarakhand) को अब से लोकभवन उत्तराखंड (Lok Bhavan Uttarakhand) कहा जाएगा. राज्यपाल सचिव रविनाथ रमन की ओर से अधिसूचना जारी किया गया है.

नैनीताल राजभवन के बारे में जानिए: नैनीताल में स्थापित ब्रिटिश कालीन राजभवन को हाल में ही 125 साल पूरे हुए हैं. जिसके बाद इस ऐतिहासिक राजभवन ने 126वें साल में प्रवेश कर लिया है. राजभवन के 125 साल पूरे होने पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू खुद नैनीताल राजभवन पहुंचीं थी. जहां उन्होंने नैनीताल राजभवन के ऐतिहासिक महत्व को करीब से जाना था.

बता दें कि नैनीताल राजभवन (अब लोक भवन) की नींव 27 अप्रैल 1897 को रखी गई थी. मार्च 1900 में राजभवन का बिल्डिंग बनकर पूरी तरह से तैयार हुआ था. पश्चिमी गौथिक शैली में बने अंग्रेजी के E आकार के इस राजभवन को तैयार करने में ब्रिटिश गवर्नर सर एंटनी पैट्रिक मैकडोनाल्ड ने अहम भूमिका निभाई थी.
यूपी की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी नैनीताल: ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने दिल्ली को देश की राजधानी और शिमला को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया था. जबकि, अवध की राजधानी के लिए लखनऊ और ग्रीष्मकालीन राजधानी नैनीताल को चुना था. जिसके बाद सबसे पहले नैनीताल में पहला राजभवन साल 1862 में रैमजे अस्पताल परिसर में स्थापित किया गया था. इसके बाद साल 1865 में राजभवन माल्डन हाउस में स्थापित हुआ.

इसी बीच साल 1875 में राजभवन को नैनीताल के स्नो व्यू क्षेत्र में स्थापित किया गया. जिसके बाद इस क्षेत्र में भूस्खलन हुआ. जिसे देखते हुए 27 अप्रैल 1897 को राजभवन शेरवुड हाउस के पास स्थायी रूप से बनाया गया. ब्रिटिश शासकों ने नैनीताल राजभवन को करीब 160 एकड़ के घने जंगल में स्थापित किया. जिसके बाद हर साल ब्रिटिश शासक गर्मियों के दौरान नैनीताल आते थे.
ब्रिटिश शासकों ने साल 1925 में राजभवन क्षेत्र के घने जंगल की करीब 75 एकड़ भूमि पर एशिया का सबसे ऊंचा एवं देश का सबसे बेहतरीन गोल्फ कोर्स बनाया. जिसमें वो गोल्फ खेला करते थे. यह ऐतिहासिक भवन लंबे समय तक स्थानीय लोगों और पर्यटकों के प्रवेश पर प्रतिबंधित था, लेकिन साल 1994 में इस राजभवन को स्थानीय लोगों के साथ पर्यटकों के दीदार के लिए खोल दिया गया.


