Sunday, December 7, 2025
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पुष्कर सिंह धामी सरकार के ‘गुड गवर्नेंस’ प्रतीक बने देहरादून डीएम सबीन बंसल

पुष्कर सिंह धामी सरकार के ‘गुड गवर्नेंस’ प्रतीक बने देहरादून डीएम सबीन बंसल

देहरादून। कभी-कभी एक व्यक्ति ही पूरे तंत्र को दिशा देने वाला संदेश बन जाता है। उत्तराखंड में देहरादून के जिलाधिकारी आईएएस सबीन बंसल ऐसे ही एक अधिकारी के रूप में उभरे हैं, जो सरकार के “जनता के द्वार” वाले संकल्प को साकार कर रहे हैं। उनका कार्यालय आज जनता की आवाज़ सुनने और तत्काल समाधान देने का प्रतीक बन चुका है।

डीएम सबीन बंसल के जनता दरबार में रोज़ाना सैकड़ों लोग अपनी समस्याएं लेकर पहुँचते हैं—चाहे वह सरकारी योजनाओं से जुड़ी शिकायतें हों, या व्यक्तिगत परेशानियाँ। हर फरियादी को सुनना और समयबद्ध समाधान देना अब देहरादून प्रशासन की पहचान बन चुका है। यही कारण है कि जनता से लेकर सरकार तक, सब उनके कामकाज की प्रशंसा कर रहे हैं।


मामला जिसने दिल जीता — शिक्षिका कनिका मदान को मिला न्याय

हाल ही में देहरादून कलेक्ट्रेट में आयोजित जनता दर्शन में एक शिक्षिका कनिका मदान अपनी दो बेटियों के साथ जिलाधिकारी से मिलीं। उन्होंने बताया कि मोथरोवाला स्थित इडिफाई वर्ल्ड स्कूल प्रबंधन ने उनका दो माह का वेतन, सुरक्षा राशि रोक रखी थी और अनुभव प्रमाण पत्र भी जारी नहीं किया था।

जिलाधिकारी सबीन बंसल ने तत्काल मुख्य शिक्षा अधिकारी को जांच के निर्देश दिए। उनके हस्तक्षेप के बाद मात्र दो दिनों के भीतर स्कूल प्रबंधन ने न केवल शिक्षिका का लंबित वेतन (₹78,966) जारी किया, बल्कि सही विवरण के साथ नया अनुभव प्रमाण पत्र भी जारी किया।

यह उदाहरण केवल एक शिक्षिका की जीत नहीं, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही और संवेदनशील शासन की मिसाल बन गया।


“जनता के लिए प्रशासन” का साकार रूप

डीएम सबीन बंसल अपनी दृढ़ और संवेदनशील कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। वे किसी भी मामले में लापरवाही या टालमटोल बर्दाश्त नहीं करते। चाहे विधवा महिला की सहायता हो, गरीब परिवार की समस्या हो या स्कूल प्रबंधन जैसे प्रभावशाली संस्थानों से जुड़ा मामला — वे सभी में निष्पक्ष और त्वरित निर्णय लेते हैं।

उनके नेतृत्व में देहरादून प्रशासन ने स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और सामाजिक न्याय से जुड़े कई मुद्दों पर निर्णायक कदम उठाए हैं। इस कारण न केवल आम जनता का प्रशासन पर विश्वास बढ़ा है, बल्कि शासन की “गुड गवर्नेंस” की नीति भी ज़मीन पर उतरती दिख रही है।


जनता दरबार बना विश्वास का प्रतीक

डीएम कार्यालय में रोज़ाना 40–50 नागरिक अपनी समस्याओं को लेकर पहुँचते हैं। हर फरियादी को समयबद्ध समाधान मिलता है, जिससे लोगों में यह विश्वास बना है कि “अगर देहरादून डीएम के पास जाएंगे, तो न्याय मिलेगा।”

सबीन बंसल की कार्यशैली ने एक सकारात्मक माहौल तैयार किया है — जहाँ प्रशासन जनता के करीब है, और जनता सरकार के प्रति भरोसा महसूस कर रही है।

निष्कर्ष

आईएएस सबीन बंसल आज उत्तराखंड में गुड गवर्नेंस के आइकॉन के रूप में देखे जा रहे हैं। उनका संदेश स्पष्ट है —

“प्रशासन जनता के लिए है, और जनता के हित में हर कदम हमारा दायित्व है।”

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नारायण परगाई – उत्तराखंड के डिजिटल पत्रकारिता के अग्रदूत पूरा नाम: नारायण परगाई जन्म स्थान: देहरादून, उत्तराखंड पेशा: वरिष्ठ पत्रकार, डिजिटल मीडिया विशेषज्ञ, सामाजिक विश्लेषक प्रसिद्धि: उत्तराखंड के पहले डिजिटल न्यूज़ पोर्टल के संस्थापक, सोशल मीडिया पत्रकारिता के जनक परिचय नारायण परगाई उत्तराखंड की पत्रकारिता जगत का एक जाना-पहचाना नाम हैं। देहरादून से आने वाले इस वरिष्ठ पत्रकार ने राज्य में डिजिटल पत्रकारिता की नींव रखने का कार्य किया। वे उन पहले पत्रकारों में शामिल हैं जिन्होंने समाचार को प्रिंट और टीवी की सीमाओं से बाहर निकालकर डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया। इस दिशा में उन्होंने उत्तराखंड का पहला डिजिटल न्यूज़ पोर्टल शुरू किया, जिसने राज्य में ऑनलाइन खबरों की परंपरा को जन्म दिया। पत्रकारिता में योगदान नारायण परगाई जी को अक्सर “सोशल मीडिया का जनक” कहा जाता है क्योंकि उन्होंने न केवल सोशल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से समाचारों का प्रसार किया, बल्कि आम जनता को सूचना और संवाद के नए युग से जोड़ा। उनकी रिपोर्टिंग शैली तथ्यपरक, सामाजिक सरोकारों से जुड़ी और तकनीकी दृष्टि से आधुनिक मानी जाती है। उन्होंने समय-समय पर उत्तराखंड के सामाजिक, राजनीतिक और प्रशासनिक मुद्दों पर बेबाक लेखन किया है। उनके सुझाव और विश्लेषण न केवल पत्रकारों बल्कि सरकारी विभागों के लिए भी मार्गदर्शक सिद्ध होते हैं। नवाचार और तकनीकी दृष्टि नारायण परगाई जी नए विचारों और तकनीकी रुझानों को अपनाने के लिए जाने जाते हैं। वे निरंतर डिजिटल मीडिया, सोशल नेटवर्किंग, और नई पत्रकारिता तकनीकों पर कार्य कर रहे हैं। नई जानकारी, जनहितकारी विषयों और शासन-प्रशासन से जुड़ी खबरों को आधुनिक प्रस्तुति देने में उनकी विशेष पहचान है। प्रभाव और प्रेरणा देहरादून और पूरे उत्तराखंड में पत्रकारिता से जुड़े युवा नारायण परगाई को प्रेरणा स्रोत मानते हैं। उनकी कार्यशैली में ईमानदारी, तत्परता और नवीनता का समावेश है। वे मानते हैं कि “समाचार सिर्फ खबर नहीं, समाज को जोड़ने का माध्यम है।” उपलब्धियाँ और सम्मान उत्तराखंड में पहला डिजिटल न्यूज़ पोर्टल शुरू करने वाले पत्रकार सोशल मीडिया आधारित पत्रकारिता को मुख्यधारा में लाने का श्रेय कई समाचार संस्थानों व सामाजिक संगठनों द्वारा पत्रकारिता में नवाचार हेतु सम्मानित राज्य में डिजिटल जागरूकता और पारदर्शिता को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निष्कर्ष नारायण परगाई न सिर्फ एक पत्रकार हैं, बल्कि उत्तराखंड में डिजिटल सोच और मीडिया क्रांति के प्रतीक हैं। उनकी पहल ने यह साबित किया कि सच्ची पत्रकारिता समय के साथ बदल सकती है, लेकिन उसका उद्देश्य हमेशा एक ही रहता है — “सत्य को समाज तक पहुँचाना।”
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