“चिपको से जियोथर्मल इनोवेशन तक: उत्तराखंड लिख रहा है हरित क्रांति का नया अध्याय”
वाडीया इंस्टीट्यूट के सभागार में यूथ फाउंडेशन द्वारा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के साथ “जलवायु परिवर्तन और नवीकरणीय ऊर्जा: चुनौतियां एवं समाधान” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार कार्यक्रम में उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य को जलवायु संकट के प्रति जागरूक करने और सामूहिक कार्यवाही का ऐलान किया। कार्यक्रम में पर्यावरण योद्धा गौरा देवी के योगदान को याद करते हुए युवाओं को नई पीढ़ी के “चिपको आंदोलन” का नेतृत्व करने का आह्वान किया गया।
मुख्यमंत्री का ऐतिहासिक संबोधन: “प्रकृति बचेगी, तभी उत्तराखंड बचेगा”
मुख्य अतिथि पुष्कर सिंह धामी ने कार्यक्रम को गौरा देवी की विरासत: चिपको आंदोलन का नया अवतार बताते हुए कहा, “यह सम्मेलन उत्तराखंड के लिए एक जन-आंदोलन की शुरुआत है। हर साल वनाग्नि हमारे जंगलों, जैव विविधता और आजीविका को भस्म कर देती है। हमारी सरकार ने ड्रोन टेक्नोलॉजी, अग्निशामक दलों का आधुनिकीकरण और जैव विविधता संरक्षण मिशन शुरू किया है, लेकिन यह लड़ाई सिर्फ सरकार की नहीं, हर नागरिक की है।”
युवाओं से अपील:
युवाओं से आग्रह है: अपने कॉलेज में “ग्रीन चैंपियन” टीम बनाएँ, उत्तराखंड के लिए सोशल मीडिया अभियान चलाएँ, और जलवायु संरक्षण को प्राथमिकता दें।
इस मुहिम में हमें वैज्ञानिक संस्थानों, ग्रामीण समुदायों और निजी क्षेत्र का सहयोग भी चाहिए। वाडिया इंस्टीट्यूट जैसे संस्थानों से मैं अनुरोध करता हूँ कि वे ग्लेशियर शोध को और गति दें। गाँवों में “वन पंचायतों” को मजबूत करें। निजी उद्योग हरिद्वार जैसे शहरों में जल संरक्षण तकनीकों को अपनाएँ।
मुख्यमंत्री ने मंच से सभी को तीन संकल्प लेने का आह्वान किया:
पहला – “मैं हर महीने कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाऊँगा/लगाऊँगी।”
दूसरा – “मैं अपने घर में वर्षा जल संचयन का प्रबंध करूँगा/करूँगी।”
तीसरा – “मैं अपने समुदाय को जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूक करने का प्रयास करूँगा/करूँगी।”
मुख्यमंत्री ने कहा जिस प्रकार से यूथ फाउंडेशन के जाबाज़ युवाओं ने कर्नल कोठियाल के मार्गदर्शन और नेतृत्व में हर परिस्थिति में साहसिक कार्य किए, चाहे वह गंगोत्री की दैविय त्रासदी हो , केदारनाथ जैसी भीषण आपदा हो या फिर पिथौरागढ़ की आपदा, फॉरेस्ट फायर , कोविड महामारी हो या नंदा राजजात यात्रा हो या गोट विलेज जैसे मॉडल हो उनसे ये प्रतीत होता है कि जलवायु परिवर्तन और नवीकरणीय ऊर्जा में भी यूथ फाउंडेशन अग्रणी भूमिका निभाएगा और यूथ फाउंडेशन को इस मिशन की कामयाबी के लिए शुभकामनाएं दी।
अंतर-मंत्रालयी सहयोग पर जोर:
- “पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और वाडिया इंस्टीट्यूट को एकजुट होकर इस चुनौती पर काम करना होगा। हम 2030 तक उत्तराखंड को ‘कार्बन न्यूट्रल’ बनाने की राह पर हैं।
कार्यक्रम में गौरा देवी के साहस और पर्यावरण प्रेम को श्रद्धांजलि देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “गौरा देवी जी ने पेड़ों से लिपटकर इतिहास रचा। आज उनकी विरासत युवाओं के हाथों में है”
गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी का योगदान: “लोकगीतों से जगाएंगे पर्यावरण चेतना”
प्रख्यात लोक गायक एवं सामाजिक कार्यकर्ता गढ़रत्न श्री नरेंद्र सिंह नेगी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “पहाड़ की संस्कृति और लोकगीत प्रकृति के प्रति सम्मान सिखाते हैं। मैं युवाओं के साथ मिलकर पर्यावरण जागरूकता के लिए संगीत यात्राएं आयोजित करूंगा।”
यूथ फाउंडेशन के संस्थापक कर्नल अजय कोठियाल ने युवाओं को दिया मंत्र: “जोश और होश के साथ लड़ें जंग”
फाउंडेशन के संस्थापक कर्नल अजय कोठियाल ने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा, ” जलवायु युद्ध में जीत के लिए हमें जोश और होश दोनों चाहिए। युवा समाधान का हिस्सा हैं और हमें गौरा देवी की विरासत को 21वी सदी की तकनीक से जोड़कर ज़मीन पर काम करना है। हम सब मिलकर जलवायु परिवर्तन और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में काम कर दुनिया को एक बार फिर पर्यावरण का संदेश देंगे।
वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने रखे ठोस सुझाव
– डॉ. जे. वी. सिंह (वरिष्ठ वैज्ञानिक,पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय): ने कहा”हम AI-आधारित जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली विकसित करेंगे, ताकि वनाग्नि और बाढ़ जैसी आपदाओं का पहले अनुमान लग सके।”
- डॉ. विनीत कुमार गहलोत (निदेशक, वाडीया इंस्टीट्यूट): “हिमालयी ग्लेशियरों के पिघलने पर शोध को प्राथमिकता देंगे। कार्यक्रम का संचालन नवीन पिरशाली द्वारा किया इस कार्यक्रम में वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और युवाओं के साथ सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने भी भाग लिया।