उत्तराखंड में शराब महंगी, नई आबकारी नीति का असर
उत्तराखंड में एक अप्रैल से शराब के दाम बढ़ने वाले हैं, जो कारोबारी से लेकर सामान्य ग्राहकों तक पर असर डालेगा। हालांकि, एक फायदा भी है—अब यदि कोई शराब की दुकानदार ओवर रेटिंग करता है और ग्राहक उसकी शिकायत करता है, तो दुकानदार का लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा। पहले ऐसी शिकायतों का असर शून्य रहता था, लेकिन अब पुष्कर सिंह धामी सरकार की नई आबकारी नीति के तहत ओवर रेटिंग पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इसके अलावा, महिला वर्ग द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने का विरोध पहले भी होता रहा है। अब धार्मिक कॉरिडोर और शैक्षिक संस्थानों के पास शराब की दुकानें नहीं खोली जा सकेंगी, ताकि युवा वर्ग पर गलत प्रभाव न पड़े। इससे शराब की दुकानों को स्कूलों के पास खोलने से भी रोका जाएगा, जो कि पहले गलत संदेश देने का कारण बनता था। विभाग को इसके लिए जगह बदलने की आवश्यकता होगी, और इससे राजस्व में कुछ असर भी हो सकता है।
नई आबकारी नीति के तहत शराब के दाम बढ़ने के साथ-साथ राज्य को राजस्व में 5000 करोड़ रुपये से अधिक का लक्ष्य रखा गया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 5060 करोड़ रुपये के राजस्व लक्ष्य का निर्धारण किया गया है, जो राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मदद करेगा।
इसके अलावा, पर्वतीय क्षेत्रों में वाइनरी स्थापित करने के लिए राज्य सरकार ने नए नियम बनाए हैं। पुष्कर सिंह धामी सरकार की नीति के तहत वाइनरी इकाइयों को अगले 15 वर्षों तक आबकारी शुल्क में छूट दी जाएगी, जो किसानों और बागवानी क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को आर्थिक रूप से लाभ पहुंचाएगी। इसके साथ ही, मदिरा उद्योग में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए निर्यात शुल्क में कटौती की गई है, और माल्ट एवं स्प्रिट उद्योगों को पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
इस नीति का उद्देश्य प्रदेश के कृषि और बागवानी क्षेत्र को प्रोत्साहित करना और मदिरा उद्योग में निवेश को बढ़ावा देना है, ताकि राज्य को आर्थिक दृष्टि से फायदा हो सके।